Book Title: Ashtapad Tirth Puja
Author(s): Vallabhvijay
Publisher: Hansvijayji Free Library

View full book text
Previous | Next

Page 32
________________ सुख आतम लक्ष्मी जोगी, वहन मनमें अति हर्षावे ॥ जय० १३॥ काव्यसुरनि अखंमित कुसुम मोगरा थादिसे प्रनु कीजिये, पूजा कर शुज योग तिग गति पंचमी फल लीजिये । नव पाप ताप निवारणी प्रनु पूजना जग हितकरी, करु विमल बातम कारणे व्यवहार निश्चय मन धरी ॥३॥ मंत्रॐ ही श्री परमपुरुषाय परमेश्वराय जन्मजरामृत्युनिवारणाय श्रीमते जिनेंजाय पूर्वदिक् संस्थित ऋषन १ अजित श् दक्षिण दिक् संस्थित संजव १ अभिनंदन ५ सुमति ३ पद्मप्रन ४पश्चिम दिक्संस्थित-सुपार्श्व१ चंद्रप्रन सुविधि ३ शीतल ४ श्रेयांस ५ वासुपूज्य ६ विमल ७ अनंत -उत्तरदिक संस्थित-धर्म १ शांति कुंथु ३ अर ४ मबि ५ मुनिसुव्रत नमि नेमि Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54