Book Title: Ashtapad Tirth Puja
Author(s): Vallabhvijay
Publisher: Hansvijayji Free Library

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Page 36
________________ वके किये । जवपाप ताप निवारणी प्रनु पूजना जग हितकरी, करु विमल बातम कारणे व्यवहार निश्चय मन धरी ॥ ४ ॥ मंत्रॐ ह्री श्री परम पुरुषाय परमेश्वराय जन्मजरामृत्युनिवारणाय श्रीमते जिनेंाय पूर्वदिक संस्थित-ऋषन १ अजित श्-दक्षिण दिक् सं. स्थित-संनव १ अभिनंदन २ सुमति ३ पद्मप्रन ४-पश्चिमदिक् संस्थित-सुपार्श्व १ चंद्रप्रन ५ सुविधि ३ शीतल ४ श्रेयांस ५वासुपूज्य ६ विमल ७ अनंत -उत्तर दिक् संस्थित धर्म १ शांति २ कुंथु ३ अर ४ महि५मुनिसुव्रत ६नमिनेमि G पार्श्व ए वीर १० निष्कलंकाय चतुर्विंशति जिनाधिपाय धूपं यजामहे स्वाहा ॥४॥ पांचमी दीपक पूजा दीपक पूजा पंचमी, पंचम गति दातार । जाव धरी नविकीजिये,आतम निश्चय धार ॥१॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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