Book Title: Ashtapad Tirth Puja
Author(s): Vallabhvijay
Publisher: Hansvijayji Free Library

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Page 20
________________ (माढ-मोरे गमका तराना-) अष्टापद वंदो पाप निकंदो जवजल तारनहार, प्रनु आदि जिनंदो शिवसुख कंदो नावसे वंदो जवजल तारनहार ॥अंचली॥ लक्ष्मीसूरि तपगबपतिरे, श्रुत गंजीर उदार। जावस्तव पूजन कियोरे, स्थानक वीस प्रकार ॥प्रजु॥१॥ स्थानक वीसको सेवनारे, तीर्थकर पद पाय । महिमा जगमें विस्तरेरे, रंकनको करे राय ॥ प्रजु०॥२॥ जसविजय वाचक गणारे, कीनो पूजन नाव । नवपद श्रीसिक चक्रकोरे, पूजा विविध बनाव ॥प्रजु० ॥ ३ ॥ रूपविजय पूजन कियोरे, जाव स्तवन गुणग्राम । आगम पणतालीसकोरे, पंचज्ञान गुण धाम ॥ प्रजु० ॥४॥वीर विजय वर्णन कियोरे, नावस्तवन जगवान । अष्टकर्म सूदन प्रजुरे, चउसठ पूजा गान ॥ प्रजु॥५॥आगम पैंतालीसकीरे, नवनवति परकार । पूजा रची व्रत बारकीरे, श्रावकके हितकार ॥ प्रजु० ॥६॥ विजयानंद सूरीशनेरे,कीनो धर्म उझार । पूजन Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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