Book Title: Arhat Vachan 2003 10
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

View full book text
Previous | Next

Page 20
________________ कल्याणक क्षेत्र जहाँ किसी तीर्थकर का गर्भ, जन्म, दीक्षा और केवलज्ञान कल्याणक हुआ है जैसे अयोध्या, मिथिलापुरी, हस्तिनापुर, भद्रिकापुरी आदि। अतिशय क्षेत्र जहाँ किसी मन्दिर में या मूर्ति में कोई चमत्कार दिखाई दे तो वह अतिशय क्षेत्र कहलाता है जैसा श्रीमहावीरजी, श्री पद्मपुराजी, श्री तिजाराजी आदि । प्राचीनता - - " क्षेत्र पूजा का प्रारम्भ आदि निर्वाण भूमि कैलाश पर्वत की पूजा से हुआ। भगवान ऋषभदेव का इतिहास में भारत का प्रथम राजा प्रथम मुनि, प्रथम केवली, प्रथम तीर्थकर और प्रथम धर्म चक्रवर्ती के रूप में स्थान है। 2 वे वर्तमान अवसर्पिणी काल के सुषमा - दुषमा काल के दुषमा भाग में हुए जो 42 हजार वर्ष पूर्व रहा इतिहास इस उन्नत अतीत की धूल भी नहीं छू सकता। 3 तीर्थंकर ऋषभदेव ने लोक मंगल के साथ ही साधना के पथ पर स्वयं अग्रसर होते हुए केवलज्ञान प्राप्त कर कैलाश पर्वत से मुक्तधाम को प्राप्त किया, तब वह पूज्य हो गया। कैलाश पर्वत सिद्धक्षेत्र है। यहाँ से अनेक मुनियों ने निर्वाण पद प्राप्त किया है। भगवान ऋषभदेव के अतिरिक्त भरत आदि भाइयों ने भगवान अजितनाथ के पितामह त्रिदशंजय, व्याल, महाव्याल, अच्छेद्य, अभेद्य, नागकुमार, हरिवाहन, भगीरथ आदि असंख्य मुनियों ने कैलाश पर्वत पर आकर तपस्या की और कर्मों को नष्ट करके यहीं से मुक्त हुए। 4 18 कैलाश पर्वत का एक दृश्य 6 भरत ने भगवान ऋषभ की वन्दना से लौटने पर ही कैलाश के आकार के घंटे बनवाये और उन पर ऋषभ भगवान की आकृतियाँ बनवाई। कैलाश की आकृति ऐसे लिंगाकार की है जो षोडश दल कमल के मध्य खड़ा हो इन सोलह दल वाले शिखरों में सामने के दो शिखर झुककर लम्बे हो गये हैं। " घंटे बनाकर नगर के चौराहों और राजमहल के द्वारों पर लटकाकर अपनी विनय प्रकट की थी। यही नहीं, उन्होंने अपने राजमुकुट में भी घंटा कृति को स्थान दिया जिस पर ऋषभ का आकार बना हुआ था? आश्चर्य है कि प्राचीन काल में मिस्र (Egypt) के दक्षिण प्रदेश के शासक भी ऐसा ही घंटा या लिंङ्ग 7 अर्हत् वचन, 15 (4), 2003 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136