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गतिविधियाँ
पूज्य मुनि श्री प्रवचनसागरजी का समाधिमरण
श्री प्रवचन सागरजी दिगम्बर जैन उदासीन आश्रम के पूर्व अधिष्ठाता ब्र. चन्द्रशेखरजी शास्त्री, जिन्होंने संतशिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज से दिगम्बर जैन सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र, नेमावर जिला देवास में 16.10.97 (आश्विन पूर्णिमा, वि. सं. 2054) को मुनि दीक्षा ग्रहण कर प्रवचनसागर नाम प्राप्त किया था, का समाधिमरण कटनी (म.प्र.) में शनिवार, दिनांक 29.11.03 (मगसिर शुक्ला 6, वि. सं. 2060) को हो गया है।
शान्त स्वभावी, सरल परिणामी, तत्व जिज्ञासु, स्वाध्यायी विद्वान ब्र. चन्द्रशेखरजी का जन्म बेगमगंज (रायसेन) निवासी श्री बाबूलालजी जैन एवं माता श्रीमती फूलरानी जैन, के परिवार में 29.10.60 को हुआ था। वैराग्य के भावों से अनुप्राणित चन्द्रशेखरजी ने M.Com (पूर्वार्द्ध) तक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद संयम के पथ पर बढ़ना प्रारम्भ कर दिया था। 29.10.87 को थुबौनजी में ब्रह्मचर्य के व्रत, 20.4.96 को तारंगाजी में क्षुल्लक दीक्षा एवं 19.12.96 को गिरनारजी में ऐलक दीक्षा धारण कर आप साधना के पथ पर सतत बढ़ते रहे।
अल्पकालिक अस्वस्थता में ही दृढ़ संकल्पी मुनिश्री ने समाधि योग धारण कर अपने मानव जीवन को सफल बनाया। समाधि के समय मुनि श्री समतासागरजी, मुनि श्री प्रमाणसागरजी, मुनि श्री निर्णयसागरजी, मुनि श्री प्रबुद्धसागरजी एवं ऐलक श्री निश्चयसागरजी आदि 85 व्रती आपके समीप थे। समाधि का समाचार प्राप्त होते ही कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। मुनि श्री के गुणानुवाद के पश्चात् दिवंगत आत्मा की शीघ्र मुक्ति की कामना सहित 9 बार णमोकार मंत्र की जाप सहित मुनिश्री को दि. जैन उदासीन आश्रम के सभी ब्रह्मचारी बन्धुओं एवं ज्ञानपीठ परिवार की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
श्री राजेन्द्रकुमारसिंहजी कासलीवाल दिवंगत
दिगम्बर जैन उदासीन आश्रम ट्रस्ट के ट्रस्टी, प्रसिद्ध समाजसेवी, विख्यात छायाकार श्री राजेन्द्रकुमारसिंहजी कासलीवाल का दुखद निधन बुधवार, 10 दिसम्बर 2003 को हो गया है। अनेक विधाओं में प्रवीण श्री कासलीवाल इन्दौर के प्रसिद्ध श्रेष्टि स्व. श्री हीरालालजी कासलीवाल के सुपुत्र थे। अनेक धार्मिक, पारमार्थिक संस्थाओं से सम्बद्ध श्री कासलीवालजी जीवन के संध्याकाल में भी समाजसेवा से जुड़े रहे। आपके निधन से
समाज की अपूरणीय क्षति हुई है। दिगम्बर जैन उदासीन आश्रम ट्रस्ट, आश्रम एवं कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ की संयुक्त श्रद्धांजलि सभा में दिवंगत आत्मा की शीघ्र मुक्ति एवं शोक संतप्त परिवार को धैर्य प्राप्त होने की कामना की गई।
अर्हत् वचन, 15 (4). 2003
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