Book Title: Arhat Vachan 2003 10
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 125
________________ धन्यवाद / आभार किसी भी शोध संस्थान की पहली आवश्यकता होती है पुस्तकालय । इसी कारण 19.10.1987 को कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ ( शोध संस्थान) की स्थापना की घोषणा के कुछ माह बाद ही ज्ञानपीठ पुस्तकालय का शुभारम्भ 1988 में श्री देवकुमारसिंहजी कासलीवाल से भेंट स्वरूप प्राप्त जैन संस्कृति संरक्षक संघ, शोलापुर के 65 ग्रन्थों से कर दिया गया। उन्हीं से ही भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली के कतिपय प्रकाशनों का सेट भी प्राप्त हुआ। कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर की शोध त्रैमासिकी अर्हत् वचन में सभी प्राप्त पुस्तकों, कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ को भेंट स्वरूप प्राप्त पुस्तकों एवं डॉ. अनुपम जैन द्वारा प्रदत्त पुस्तकों से ज्ञानपीठ पुस्तकालय शनै: शनै: विकसित होने लगा। 24.03.1991 को पूज्य उपाध्याय मुनि श्री गुप्तिसागरजी महाराज के सान्निध्य में कुँवर दिग्विजयसिंह जैन (MSJ) के करकमलों से पुस्तकालय के नवीन भवन के उद्घाटन के साथ ही इसके विकास को गति मिली। पुस्तकालय में उपकरण के रूप में हमें निम्नांकित का विशिष्ट सहयोग मिला 1. श्री शिवकुमार जैन, कोलकाता के माध्यम से श्री जैन मिश्रीलाल पद्मावती फाउन्डेशन ट्रस्ट कोलकाता द्वारा बुकसेल्फ क्रय करने हेतु रुपये 1,00,00000. श्री राजेन्द्रकुमार जैन एवं श्रीमती सुधा जैन (न्यू पुष्पक रेस्टॉरेन्ट) द्वारा एक बुकसेल्फ डॉ. रमा जैन W/o. डॉ. नरेन्द्रकुमार विद्यार्थी, छतरपुर द्वारा एक बुकसेल्फ डॉ. सविता जैन, सम्पादिका - आदित्य आदेश, उज्जैन द्वारा एक बुकसेल्फ । निम्नांकित पूज्य गुरुजन, ब्रह्मचारी बंधुओं, महानुभावों द्वारा हमें अनेकशः पुस्तकें प्राप्त हुई 2. 3. 4. हैं 1. पूज्य आचार्य श्री कनकनन्दिजी महाराज 2. पूज्य मुनि श्री अभयसागरजी महाराज 3. पूज्य गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी 4.ब्र. अनिलजी अधिष्ठाता उदासीन आश्रम, इन्दौर 5. ब्र. सुनीलजी, उदासीन आश्रम, इन्दौर 6. ब्र. भावेशजी, उदासीन आश्रम, इन्दौर 7. प्र. राजेशजी सम्मेदशिखरजी 8. स्व. प्रो. जमनालालजी जैन के परिजन, इन्दौर 9. स्व. श्री ईश्वरचन्दजी बड़जात्या I.A.S. के परिजन 10. स्व. पं. वृद्धिचंद जैन, इन्दौर के परिजन 11. श्री देवकुमारसिंह कासलीवाल, इन्दौर 12. श्री अजितकुमारसिंह कासलीवाल, इन्दौर 13. डॉ. अनुपम जैन, इन्दौर 14. श्री रमेश कासलीवाल, संपादक वीर निकलंक, इन्दौर 15. श्री जयसेन जैन, संपादक- सन्मति वाणी, इन्दौर 16. डॉ. टी. व्ही. जी. शास्त्री, सिकन्दराबाद 17. डॉ. महेन्द्रकुमार जैन 'मनुज', इन्दौर 18. डॉ. (श्रीमती) सुशीला सालगिया, इन्दौर 19. डॉ. एन. पी. जैन, पूर्व राजदूत, इन्दौर 20. डॉ. एन. एन. सचदेवा, इन्दौर Jain Education International 21. श्री डालचन्दजी जैन, पूर्व सांसद, सागर 22. श्री नेमिनाथजी जैन, इन्दौर 23. डॉ. रमा जैन, छतरपुर 24. श्री प्रेमचन्द जैन, संपादक तीर्थकर, इन्दौर 25. श्री राजेन्द्रकुमारसिंह कासलीवाल, कल्याण भवन, इन्दौर आप सबके उदारता पूर्वक पुस्तकें प्रदान करने के कारण एवं उदासीन आश्रम ट्रस्ट द्वारा प्रदत्त अनुदान से प्रतिवर्ष पुस्तकें क्रय किये जाने के कारण ही वर्ष 2003 के अन्तिम माह में हमारे पास लगभग 10500 पुस्तकें पंजीकृत हो चुकी हैं। अन्य पूज्य मुनिराजों / आर्यिका माताओं / ब्रहाचारी भाइयों / प्रकाशकों/दानी महानुभावों से अनुरोध है कि वे नवीन प्रकाशन हमें अनवरत भेजते रहें। जिससे कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ पुस्तकालय देश का समृद्ध पुस्तकालय बन सके। - वर्ष 2003 में हमें अनेक नवीन पुस्तकें भेंट स्वरूप या समीक्षार्थ प्राप्त हुई हैं। उनकी सूची हम 16 (1) में प्रकाशित करेंगे पश्चात हम त्रैमासिक रूप से ऐसी सूची प्रकाशित करते रहेंगे जिससे नये प्रकाशनों की सूचना भी पाठकों को मिल सकेगी एवं पुस्तकालय भी समृद्ध होगा। । डॉ. अनुपम जैन अर्हत् वचन, 15 ( 4 ), 2003 For Private & Personal Use Only 119 www.jainelibrary.org

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