________________
उपाध्याय श्री ज्ञानसागरजी महाराज ने अपने विशेष प्रवचनों में कहा कि जैन पुस्तकालय एवं शोध संस्थान को लेकर अखिल भारतीय संगोष्ठी सामान्य रूप से शायद होती रही होगी किन्तु दिगम्बर जैन समाज में विशेष रूप से इस प्रकार के आयोजन के प्रति अतीत में कोई जानकारी नहीं रही है। जैन दर्शन अपनी अनेक विशेषताओं को लिये हुए है। आज जरूरत है संस्कृति के प्रति जागरूकता की है। हम लायब्रेरी के प्रति ध्यान दें तथा आधुनिक तकनीकों को अपनायें ।
विशिष्ट अतिथि कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ के मानद सचिव व अर्हत् वचन के सम्पादक डॉ. अनुपम जैन, इन्दौर तथा सोसायटी फार सराक वेलफेअर एण्ड डेवलपमेन्ट के अध्यक्ष श्री प्रमोद जैन, सरधना थे डॉ. अनुपम जैन ने संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन करते हुए विस्तार से शोध संस्थाओं की स्थापना के पीछे मनोवृत्ति आवश्यकता, उपादेयता, वर्तमान स्थिति, समस्याओं एवं समाधान की दिशा प्रस्तुत की ।
दि. 13.9.03, रात्रि 7.30 बजे, द्वितीय सत्र
अध्यक्षता मुख्य अतिथि
वक्ता एवं विषय
प्रो. एस. ए. सीमन्धरकुमार, बैंगलोर श्री एस. सी. जैन, दिल्ली
1.
श्री सुनील जैन, सागर, जैन ज्योतिष
94
2. श्री अजित जैन 'जलज', ककरवाहा,
अहिंसा और अनेकान्त के वैश्वीकरण में जैन संस्थान
3. डॉ. मुकेश जैन, जबलपुर, जैन कर्म सिद्धान्त सूचना केन्द्र की आवश्यकता
4. ब्र. राकेश जैन ( सर्वोदय विद्यापीठ, भाग्योदय), सागर,
जैन पुस्तकालय नेट वर्किग
Jain Education International
5. श्री सुनील जैन मालथौन, सागर, जैन साहित्य के प्रसार में मीडिया
6. एड. दिनेश जैन, सागर, आचार्य तारण स्वामी/तारण पंथ द्वारा शास्त्र संरक्षण
7. एड. वीरेन्द्र जैन, सागर, भारतीय संविधान में अल्पसंख्यकों के अधिकार
8. डॉ. सुरेन्द्रकुमार जैन, भगवां, जैन पाण्डुलिपियों में चित्रांकन
9. श्री सुनील जैन, कुरवाई, जैन पुस्तकालय व्यवस्थापन
10. पं. लालचन्द्र 'राकेश', गंजबासोदा, श्रुतपंचमी बनाम जैन ग्रन्थों का संरक्षण
मुख्य अतिथि ने Sorne Thoughts on Jain Libraries तथा अध्यक्ष ने जैन
शोध के स्वरूप पर अपने विचार प्रस्तुत किये।
दि. 14.9.03 प्रातः 9.00 बजे, तृतीय सत्र
अध्यक्षता
मुख्य अतिथि वक्ता एवं विषय
प्रो. बी. के. जैन, अध्यक्ष वाणिज्य संकाय, डॉ. हरिसिंह गौर वि. वि. सागर : श्री मुकेश दांगी, मजिस्ट्रेट, डबरा
1. प्रो. हनुमानप्रसाद वार्डिया, उदयपुर, राजस्थान में जैन पुस्तकालब
2. डॉ. (कु.) सीमा जैन, जबलपुर, म. प्र. की जेन मूर्ति कला
3. डॉ. (श्रीमती) कृष्णा जैन, ग्वालियर,
जैन
पुस्तकालय में कम्प्यूटर व इन्टरनेट का प्रयोग
For Private & Personal Use Only
अर्हत् वचन, 15 (4). 2003
www.jainelibrary.org