________________
गतिविधियाँ
हम शासन पर दबाव बनाकर समाज का उत्थान कर सकेंगे।
विशेष अतिथि भोपाल संभाग के मंडल रेल प्रबन्धक श्री सुबोधकुमार जैन ने कहा कि मुझे खुशी है कि मैं समाज के बीच में हूँ और ऐसे आयोजन मुझे समाज से जुड़ने का मौका देते हैं। महासमिति के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री प्रदीपकुमारसिंह कासलीवाल ने अपने संबोधन में कहा कि बिना किसी भेदभाव के हम सभी इकट्टा होकर जैन समाज और महासमिति को मजबूत बनाकर समाजसेवा कर सकते हैं। हमें जैन समाज को एक साथ लाने का प्रयास करना होगा। दिगम्बर जैन महासमिति के राष्ट्रीय महामंत्री श्री एम. के. जैन ने कहा कि यह पदाधिकारी प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन देश में पहली बार किया गया है। महासमिति का संगठनात्मक रूप क्या है? एवं इसको कैसा चलाना है? यह इरा कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य है।
महासमिति में एक परिवार के रूप में कार्य करना है। कार्यशाला का आयोजन दिगम्बर जैन महासमिति भोपाल संभाग द्वारा किया गया। भोपाल संभाग के अध्यक्ष श्री सुभाष काला ने शुरुआत में अपने स्वागत भाषण में कहा कि आप सबके सहयोग से महासमिति एक आन्दोलन का रूप ले रही है। श्री काला ने कहा कि हमें सौभाग्य मिला है देश में पहली बार इस पदाधिकारी प्रशिक्षण कार्यशाला के आयोजन का!
कार्यशाला में बोलते हुए मध्यप्रदेश शासन के उपसचिव श्री सुभाष जैन ने कहा कि 30 वर्ष के पश्चात भी हमारा संगठन अभी बाल्यावस्था में ही है। हमें इसको सभी भेदभाव भुलाकर
और मजबूत करना है। चिकित्सा एवं शिक्षा के क्षेत्र में जैन समाज समाज अभी बहुत पीछे है। हम फालतू खर्चों को रोककर इस क्षेत्र में अच्छी सेवा कर सकते हैं।
__ महासमिति मध्यांचल के महामंत्री श्री कीर्तिकुमार पाड्या ने कहा कि दिगम्बर जैन महासमिति सम्पूर्ण देश में जैन संसद के रुप में जानी जाती है। इस कार्यशाला के माध्यम से संगठन को मजबूती प्रदान की जा सकेगी। महासमिति के राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री श्री हसमुख जैन गांधी ने कार्यशाला में व्यक्तित्व विकास पर चर्चा की एवं नेतृत्व के लिये किन-किन गुणों की आवश्यकता है इस पर विचार विमर्श किया। इन्दौर से आये महासमिति मध्यांचल के अध्यक्ष श्री माणिकचन्द जैन पाटनी ने महासमिति का इतिहास बताया।
अंतिम वक्ता डॉ. अनुपम जैन, सचिव - कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर ने कहा कि किसी भी संगठन के सुचारू संचालन में निम्न 4 की प्रमुख भूमिका होती है - (1) कार्यकर्ता (2) कार्यालय (3) कार्यक्रम एवं (4) कोष। 35000 सदस्यों के माध्यम से महासमिति के पास कार्यकर्ताओं का विशाल समूह है, जो निरन्तर वृद्धिंगत हो रहा है। इसके कार्यालय को पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री एवं वर्तमान में मध्यांचल के अध्यक्ष श्री माणिकचन्द पाटनी ने अत्यन्त कुशलता एवं कर्मठता से संचालित किया है। कार्यकर्ताओं एवं कार्याला की शक्ति से ही कार्यक्रमों का संचालन संभव है। धार्मिक संस्कारों के कारण हमारे कार्यकर्ता धार्मिक पर्यो - महावीर जयंती, दीपावली, ऋषभ जयंती, ऋषभ निर्वाण दिवस, वीर शासन जयंती, मोक्ष सप्तमी, अष्टान्हिका, पर्युषण पर्व आदि तो मनाते ही हैं, इन्हें इकाई की गतिविधि के रूप में संयोजित करें। स्थानीय समाज के कार्यक्रमों में इकाई का जुड़ाव करें, उसमें पूर्ण सहयोग दें। सामूहिक हित एवं रूचि के कार्यक्रम बनायें जैसे मंडल विधानों का आयोजन, भक्ति संगीत, तीर्थ यात्राओं का आयोजन आदि। इनसे समाज सीधे जुडती है एवं महासमिति को लाभ मिलता है। हमें किसी को कुछ देना नहीं होता है। हमें सीमाजरोवा के लिये मंच उपलब्ध होता है। कार्यक्रम के संचालन की पूरी योजना लिखित में संचालक का अधिक बोलना अशोभनीय माना जाता है, इस बात का ध्यान रखें। कार्यक्रम की रिपोर्ट तैयार करने का दायित्व अपने अनुभवी साथी को दें। रिपोर्ट फोटो सहित दैनिक समाचार पत्रों, जैन पत्र पत्रिकाओं में भेजें जिससे अन्य कार्यकर्ताओं को प्रेरणा मिले। सभी दृष्टियों से कार्यशाला अत्यन्त सफल रही। भोपाल संभाग का संयोजन एवं आतिथ्य सराहा गया।
माणिकचन्द जैन पाटनी
अर्हत् वचन, 15 (4), 2003
113
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org