Book Title: Arhat Vachan 2003 10
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

View full book text
Previous | Next

Page 118
________________ गतिविधियाँ महासमिति (मध्यांचल) की पदाधिकारी प्रशिक्षण कार्यशाला सम्पन्न दिगम्बर जैन महासमिति के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं प्रसिद्ध हीरा व्यवसायी, श्री विवेक काला ने भोपाल में दिनांक 3 अगस्त 2003 को आयोजित दिगम्बर जैन महासमिति मध्यांचल की पदाधिकारी प्रशिक्षण कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि मनुष्य भगवान की सर्वश्रेष्ट कृति है, मानव सेवा ही प्रभु सेवा है। श्री काला ने आगे कहा कि हम किसी के लिये अच्छा करते हैं तो हमारे मन में खुशी होती है, महासमिति ऐसे कार्य करे जिससे हम सीधे समाज की सेवा कर सकें, हम हमारे लक्ष्य बनायें। महासमिति के पूरे देश में लगभग पैंतीस हजार सदस्य हैं। उन्होंने जैन समाज को रूढ़िवादिता से बाहर आकर सेवा कार्य करने का आह्यान किया। आपने कहा कि जैन समाज प्रतिवर्ष पंचकल्याणक समारोह आयोजित कर लगभग सौ करोड़ रूपये का अपव्यय करता है, उस पैसे को बचाकर हम शिक्षा एवं चिकित्सा के क्षेत्र में लगाकर जरूरतमंद लोगों की मदद कर सकते हैं। श्री काला ने कहा कि संगठन में ही शक्ति है, जैन समाज अपने झगड़े भुलाकर एक संगठन के झंडे तले इकट्टा होकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर सकता है। जैन समाज बड़ा दयावान रामृद्ध एवं दूसरों की मदद करने वाला समाज है। हम सब मिलकर चलेंगे तो और भी अच्छी सेवा कर सकते समारोह का उद्घाटन मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद श्री डालचन्द जैन ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि महासमिति का गठन सन् 1975 में यत्र - तत्र बिखरी जैन संस्थाओं को एक झंडे तले लाने के लिये किया था। इस उद्देश्य के लिये महासमिति में बहुत कार्य किया है लेकिन अभी भी इस क्षेत्र में कार्य बाकी है। श्री जैन ने कहा कि सभी जैन संस्थाओं का आपस में समन्वय होना बहुत जरूरी है। अन्य समाजों ने भी अपनी पहचान अपने संगठन के माध्यम से ही बनाई है। जैन समाज भी संगठन के माध्यम से अपनी पहचान बना सकेगा। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में बोलते हुए भोपाल के कलेक्टर श्री अनुराग जैन ने कहा कि हमारा देश प्रजातात्रिक है। यहाँ वोटों की गिनती से काम चलता है। जिराका संगठन मजबूत होता है उसी की बात सुनी जाती है। मध्यप्रदेश शासन ने जैन समाज को अल्पसंख्यक घोषित कर अच्छा कार्य किया है। लेकिन जैन समाज को मतभेद भुलाकर एक होना पड़ेगा तभी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136