________________
मिलता है। आकार में कुछ परिवर्तन के साथ श्रीवत्स का स्वरूप गुप्तकाल तक कई जैन तथा वैष्णव प्रतिमाओं पर उकेरा जाता रहा है।
मथुरा से प्राप्त जैन तीर्थकरों के वक्ष पर प्रायः श्रीवत्स का स्वरूप वहाँ से मिले आयागपट्टों जैसा ही है अधिकांश मूर्तियों के श्रीवत्स में ऊपर बाण जैसी नॉक तथा नीचे त्रिकोण जैसा आधार जोड़ दिया गया है। महापुरुष लक्षण के रूप में श्रीवत्स के स्वरूप में आगे चलकर जो परिवर्तन हुआ उससे उसका पूर्ण स्वरूप बिल्कुल ही बदल गया। अपने मौलिक स्थान पर श्रीवत्स को लाक्षणिक स्वरूप प्रदान किया जाने लगा। कुछ तीर्थकर प्रतिमाओं पर ईंट जैसा चतुष्कोणिक आकार प्रदान किया गया। श्रीवत्स का यह स्वरूप चतुर्दलीय पुष्प जैसा हो गया। मध्ययुगीन जैन प्रतिमाओं से इसकी पुष्टि होती है। कुछ प्रतिमाओं पर श्रीवत्स को पुष्पदल के स्थान पर बाहर को नोंक किये हुए चार त्रिकोणों से बना दिया गया। 10 देवगढ़ की तीर्थकर प्रतिमाओं पर 'श्रीवत्स' चतुष्कोण आकृति के रूप में लक्षित है। श्रीवत्स के विभिन्न स्वरूपों को संलग्न चित्र के माध्यम से स्पष्ट किया गया है। "
श्रीवत्स की सहस्रवर्षीय परम्परा में उसके स्वरूप में जो परिवर्तन हुए वह सरलीकरण पद्धति के द्योतक माने जाते हैं। जैन तीर्थंकर प्रतिमाओं में प्रायः सभी मूर्तियों में 'श्रीवत्स' किसी न किसी रूप में देखने को मिलता है। 12 अतः श्रीवत्स एक मांगलिक प्रतीक है जो सभी धर्मों और सम्प्रदायों में समान रूप से समादृत था। प्राचीन जैन ग्रन्थों में मांगलिक लक्षणों की चर्चा में श्रीवत्स का उल्लेख मिलता है। अतः 'श्रीवत्स' एक मांगलिक प्रतीक है। 14
सन्दर्भ
1. बाजपेयी, मधुलिका, जैन धर्म का विकास, पृ. 248
2. जैन पुराण कोश, पृ. 412 दृष्टव्य महापुराण 73, 17 पदमपुराण 3 191 हरिवंश पुराण 9, 9.
3. श्रीवास्तव, ए.एल. श्रीवत्स भारतीय कला का एक मांगलिक प्रतीक, 3 (पृ. 4), 4 (पृ. 102) I
4. कादम्बिनी, नवम्बर - 1995, 5 (पृ. 137).
5. जैन भागचन्द्र, देवगढ़ की जैन कला एक सांस्कृतिक अध्ययन, पृ. 110
6. श्रीवास्तव, ए. एल. श्रीवत्स भारतीय कला का एक मांगलिक प्रतीक, पृ. 1.
,
7. वही, पृ. 64.
8. वाजपेयी, मधुलिका, जैन धर्म का विकास, पृ. 244, 245,
.
9. श्रीवास्तव, ए. एल. श्रीवत्स भारतीय कला का एक मांगलिक प्रतीक, पृ. 65 10. वहीं, पृ. 119123.
11. जैन, भागचन्द्र, देवगढ़ की जैन कला एक सांस्कृतिक अध्ययन, पृ. 110. 12. श्रीवास्तव, ए. एल. श्रीवत्स भारतीय कला का एक मांगलिक प्रतीक, पृ. 123. 13. वही, पृ. 34.
14. वाजपेयी, मधुलिका, जैन धर्म का विकास, पृ. 244,
प्राप्त
76
15.07.02
Jain Education International
-
For Private & Personal Use Only
• एफ 3, शासकीय आवास,
कम्पू, ग्वालियर (म.प्र.)
अर्हत् वचन, 15 (4), 2003
www.jainelibrary.org