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वारिज्जइ जइवि
नियाण
-
बंधणं
तुह
समये
तहवि
मम
हुज्ज
सेवा
भवे भवे
- निषेध किया है यद्यपि
निदान (सांसारिक वस्तु की प्राप्ति की निश्चित धारणा ) को
तुम्ह
चलणाणं
दुक्खक्खओ
अ
संपज्जउ
मह
एअं
-
- निश्चित करना इसका
- आपके
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-
4
- तो भी
- मुझे
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भावदुःख ( कषाय, विषयलम्पटता, दीनता) का नाश
कर्मों का नाश
मक्खओ समाहिमरणं
समाधि-पूर्वक मरण
बोहिलाभो - बोधि (सम्यक्त्व से लेकर वीतरागता पर्यन्त के
जैनधर्म की प्राप्ति) का लाभ
शास्त्र में
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प्राप्त हो
-
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उपासना
मोक्ष तक के भावी प्रत्येक भव में आपके
चरणों की
तथा
प्राप्त हो
मुझे
• यह
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