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निरुवसग्गवत्तिआए ॥ २ ॥ सद्धाए, मेहाए, धिइए, धारणाए, अणुप्पेहाए, वडमाणीए, ठामि काउस्सग्गं ॥ ३ ॥
| शब्दार्थ | अरिहंत चेइयाणं - अरिहंत प्रतिमाओं का
(वंदणवत्तियाए.... सम्माण०) करेमि
करुंगा काउस्सग्गं .- कायोत्सर्ग वंदणवत्तिआए नमस्कार के निमित्त पूअणवत्तिआए - पुष्पादि-पूजा के निमित्त सक्कारवत्तिआए - वस्त्रालंकार-सत्कार के निमित्त सम्माणवत्तिआए - गुणगान से सम्मान के निमित्त बोहिलाभवत्तिआए - बोधिलाभ के निमित्त (करेमि काउ०) निरुवसग्गवत्तिआए- उपद्रवरहित मोक्ष के निमित्त
(करेमि काउ०) सद्धाए
श्रद्धा से
कुशल-निपुण बुद्धि से धिइए
स्वस्थता - स्थिरता-दढता से धारणाए
धारणा से अणुप्पेहाए
सूत्रार्थ-चिंतन से वडमाणीए
बढ़ती हुई (सद्धाए..... अणुप्पेहाए) ठामि काउस्सग्गं - कायोत्सर्ग करता हूँ।
मेहाए
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