Book Title: Aradhana
Author(s): Bhuvanbhanusuri
Publisher: Divya Darshan Trust

Previous | Next

Page 142
________________ संयम रमणी आराधवा, लेवा मुक्तिनुं राज, लेवा. मेरे दिल वसी गयो वालमो, मेरे मन वसी गयो वालमो...१ माताने मेल्या एकला रे, जाय दिन नवि रात, जाय. रलसिंहासन बेसवा, चाले 'अणवाणे पाय, मेरे..२ व्हाला नुं नाम नवि वीसरे रे, झरे आंसुडानी धार झरे० आँखलडीए छाया वली, गया वर्ष हजार...गया० मेरे..३ केवलरत्न आपी करी रे, पूरी मातानी आश,..पूरी० समवसरण लीला जोइने, साध्यां आतम काज...साध्या० मेरे..४ भक्तवत्सल भगवंतने रे, नम्ये निर्मल काय...नम्ये० आदि जिणंद आराधतां, महिमा शिव सुख थाय .महिमा० मेरे..५ (२) प्रथम जिनेश्वर प्रणमीए जास सुगंधि रे काय, कल्पवृक्ष परे तास इन्द्राणी, नयन जे ,गपरे लपटाय, प्रथम... रोग उरग तुज नवि नडे, अमृत जेह आस्वाद, तेहथी प्रतिहत तेह मार्नु कोइ नवि करे, जगमां तुमशुं रे वाद, प्रथम... ॥ २ ॥ वगर धोइ तुज निरमली, काया कंचन वान, नहीं प्रस्वेद लगार, तारे तुं तेहने, जे धरे ताहरूं ध्यान, प्रथम.. ॥ ३ ॥ १. वाणह (पग रखे) रहित (नंगेपाँव), २. प्रियतम, ३. पीडते, ४. पराजित, ५. तनीक भी. १२९ Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168