Book Title: Aradhana
Author(s): Bhuvanbhanusuri
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 143
________________ राग गयो तुज मनथकी, तेहमां 'चित्र न कोय, रुधिर आमिषथी राग गयो तुज जन्मथी, दूध सहोदर होय, प्रथम.. ॥ ४ ॥ श्वासोच्छवास कमल समो, तुज लोकोत्तर वात, देखे न आहार 'निहार चर्म चक्षु धणी, एहवा तुज अवदात', प्रथम... ॥ ५ ॥ चार अतिशय मूलथी, ओगणीस देवना कीध, कर्म खप्याथी अगियार, चोत्रीस इम अतिशया, समवायांगे प्रसिद्ध, प्रथम ॥ ६ ॥ जिन उत्तम गुण गावतां, गुण आवे निज अंग, 'पद्मविजय' कहे एह समय प्रभु पालजो, जिम थाऊँ अखय अभंग, प्रथम.. ॥ ७ ॥ १. आश्चर्य, २. रक्तता, ३. समान, ४. शौच, ५. हकीकते, ६. संकेत मर्यादा शंखेश्वर पार्श्वनाथ स्तुति शंखेश्वर पार्श्वजी पूजिए, नरभवनो लाहो लीजिए । मनवांछित पूरण सुरतरु, जय वामासुत अलवेसरु ॥ अभिनंदन जिन स्तवन अभिनंदन स्वामी हमारा, प्रभु भवदुःख भंजनहारा, यह दुनिया दुःख की धारा, प्रभु इनसे करो निस्तारा, अभि..१ हुँ कुमति कुटिल भरमायो, दुरनीति करी दुःख पायो, अब शरण लियो है थारो, मुझे भवजल पार उतारो, अभि..२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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