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(२) प्रह उठी वंदूं, ऋषभदेव गुणवंत, प्रभु बेठा सोहे समवसरण भगवंत, गण छत्र विराजे, चामर ढाले इन्द्र, जिनना गुण गावे सुरनर नारीनां वृन्द (यहां किसी भी, भगवान की स्तुति बोलनी हो, तब 'ऋषभदेव' के स्थान पर उस भगवान का नाम जोड़ सकते हैं। जैसे 'अजितनाथ गुणवंत', 'वासुपूज्य गुणवंत', वर्धमान गुणवंत'.)
श्री महावीर प्रभु की स्तुति जय जय भवि हितकर, वीर जिनेश्वर देव, सुरनरना नायक, जेहनी सारे सेव, करुणा रस कंदो, वंदो आणंद आणी, त्रिशला सुत सुन्दर, गुणमणि केरो खाणी
श्री सिद्धचक्रजी की स्तुति प्रह उठी वंदु, सिद्धचक्र सदाय, जपीए नवपदनो, जाप सदा सुखदाय, विधिपूर्वक ए तप, जे करे थइ उजमाल, ते सवि सुख पामे, जिम मयणा श्रीपाल
श्री सिद्धाचल महातीर्थ की स्तुति श्री शत्रुजय तीरथ सार, गिरिवरमा जेम मेरु उदार,
ठाकुर राम अपार.
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