Book Title: Aradhana
Author(s): Bhuvanbhanusuri
Publisher: Divya Darshan Trust
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सिंहासन अशोक, बेठा मोहे लोक,
आज हो स्वामी रे शिवगामी वाचकजस थुण्योजी
स्तुतियां (थोय)
श्री आदि जिन स्तुति (१)
आदि जिनवर राया, जास सोवन काया, मरुदेवी माया, धोरी लंछन पाया, जगत स्थिति निपाया, शुद्ध चारित्र पाया, केवलसिरि राया, मोक्ष नगरे सिधाया सवि जिन सुखकारी, मोह मिथ्या निवारी, दुर्गति दुःख भारी, शोक संताप वारी; श्रेणी क्षपक सुधारी, केवलानन्त धारी, नमिये नर नारी, जेह विश्वोपकारी
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समवसरणे बैठा, लागे छे जिनजी मीठा, करे गणप पट्ठा इन्द्र चन्द्रादि दीठा; द्वादशांगी वरिट्ठा, गूंथता टाले रिट्ठा भविजन होय हिट्ठा, देखी पुण्ये गरिट्ठा सुर समकितवंता, जेह रिद्धे महंता, जेह सज्जन संता, टालिये मुज चिंता, जिनवर सेवंता, विघ्न वारे दुरंता, जिन उत्तम धुणंता, पद्मने सुख दिंता
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१. बैल, वृषभ, २. प्रतिष्ठा, ३. वरिष्ठ, ४. अमंगल, ५. बलवान्
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