Book Title: Aradhana
Author(s): Bhuvanbhanusuri
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 148
________________ साहेबजी भवमां भमता में दरिसन पायो, आशा पूरो एक पलमें हो जिनजी तुं मेरा २ निरमल ज्योत वदन पर सोहे, निकस्यो ज्युं चंद बादल में, हो जिनजी तुं मेरा... ३ मेरो मन तुम साथे लीनो, मीन वसे ज्युं जल में, हो जिनजी जिनरंग कहे प्रभु शांति जिनेश्वर, दीठोजी देव सकल में, हो जिनजी तुं मेरा...५ श्री नेमिनाथ प्रभु का स्तवन देखो माई अजब रूप जिनजी को उनके आगे और सबहुं का, रूप लागे मोहे फीको । देखो.. लोचन करूणा अमृत कचोले, ' मुख सोहे अति नीको कवि जस विजय कहे युं साहिब मजी त्रिभुवन टीको। देखो... श्री पार्श्वनाथ प्रभु के स्तवन Jain Education International (१) समय समय सो वार संभारू, तुजशुं लगनी जोर रे, मोहन मुजरो मानी लीजे, ज्यूं जलधर प्रीति मोर रे तुं मेरा...१ १. कटोरा, २ . सुन्दर, अच्छा माहरे तन-धन-जीवन तुं ही, एहमां झूठ न जानो रे, १३५ तुं मेरा...४ समय. ॥ १ ॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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