Book Title: Aradhana
Author(s): Bhuvanbhanusuri
Publisher: Divya Darshan Trust
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तेह अनंग कियो चकचूरा, ए अतिशय तुज भारी रे.... था| तेह साचूं जिम नीर प्रभावे, अग्नि होत सवी छारी रे... थाशुं पण वडवानल प्रबल जब प्रगटे, तब पीबत सवी 'वारी रे.... था| एणी परे तें अति दहवट कीनो, विषय अरति-रति वारी रे.... थारों नयविमल प्रभु तुहि नीरागी, महा मोटो ब्रह्मचारी रे.... था| (राग - माढ) (६) आवो मुज मन धाम, प्रभुजी आवो... सम अमारा तुमे न मानो, हाथ न झालो दाम, नेह नजरशुं कोई न निहालो, वीतराग तुज नाम... प्रभुजी कोइ हरिहर बंभन माने, कोइने मन राम, हूं सरागी वीतरागनो रे, मोहियो गुण ग्राम.... प्रभुजी तुंही तुंही तुंही तुंही, जाप जपतां आम, केइ शुभरागे भव तर्या इम, केता कहूँ स्वाम.... लहे सरागी शुभ भावशुं वीतरागता परिणाम, तेहने शी खोट जस शिर, तुं ही आतमराम.... प्रभुजी (राग - भीमपलास) (७) जिणंदा ! वे दिन क्युं न संभारे? ६ साहिब तुम हम काल अनंतो, इकठा इण संसारे..... जिणंदा आप अजर अमर होइ बैठे, सेवक करीय किनारे, मोटा जेह करे ते छाजे, तिहा तुमने कुण वारे.... जिणंदा ३. वह, ४. कामदेव, ५. पानी. ६. याद करें.
प्रभुजी
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