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(राग - आशावरी)
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आनंद की घड़ी आई, सखीरी ! आज आनंद की घड़ी आई, करके कृपा प्रभु दरिसण दीनो, भव की पीर मिटाई, मोह-निद्रा से जाग्रत करके, सत्य की शान सुनाई,
तन मन हर्ष न माई...सखीरी आज... ॥ १ ॥ नित्यानित्य का तोड बताकर, मिथ्या दृष्टि हराई, सम्यग्ज्ञान की दिव्य प्रभा को अंतर में प्रगटाई,
साध्य - साधन दिखलाई... सखीरी आज.... त्याग - वैराग्य-संयम के योग से निस्पृह भाव जगाई, संग सर्व परित्याग करा कर अलख धून मचाई,
अपगत दुःख कहलाई...सखीरी आज... ॥ ३ ॥ अपूर्वकरण गुणस्थानक सुखकर, श्रेणी क्षपक मंडवाई, वेद तीनों का छेद करा कर, क्षीण-मोही बनवाई,
जीवन-मुक्ति दिलाई... सखीरी आज... 118 11 भक्तवत्सल प्रभु ! करुणासागर, चरणशरण सुखदाई, जस कहे ध्यान प्रभु का ध्यावत, अजर अमर पद पाई, धंध (द्वन्द) सकल मिट जाई ... सखीरी आज.... (राग दुर्गा) (५)
॥ ५ ॥
काम सुभट गयोहारी रे...थाशुं काम सुभट गयो हारी, रतिपति' आण वसे सहु सुरनर, हरि हर ब्रह्म मुरारि रे...
गोपीनाथ विगोपित कीनो, हर अर्धाङ्गितनारी रे....
१. आपसे, २. कामदेव,
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॥ २ ॥
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थाशुं
थाशुं
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