Book Title: Aradhana
Author(s): Bhuvanbhanusuri
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 134
________________ (राग - आशावरी) (४) आनंद की घड़ी आई, सखीरी ! आज आनंद की घड़ी आई, करके कृपा प्रभु दरिसण दीनो, भव की पीर मिटाई, मोह-निद्रा से जाग्रत करके, सत्य की शान सुनाई, तन मन हर्ष न माई...सखीरी आज... ॥ १ ॥ नित्यानित्य का तोड बताकर, मिथ्या दृष्टि हराई, सम्यग्ज्ञान की दिव्य प्रभा को अंतर में प्रगटाई, साध्य - साधन दिखलाई... सखीरी आज.... त्याग - वैराग्य-संयम के योग से निस्पृह भाव जगाई, संग सर्व परित्याग करा कर अलख धून मचाई, अपगत दुःख कहलाई...सखीरी आज... ॥ ३ ॥ अपूर्वकरण गुणस्थानक सुखकर, श्रेणी क्षपक मंडवाई, वेद तीनों का छेद करा कर, क्षीण-मोही बनवाई, जीवन-मुक्ति दिलाई... सखीरी आज... 118 11 भक्तवत्सल प्रभु ! करुणासागर, चरणशरण सुखदाई, जस कहे ध्यान प्रभु का ध्यावत, अजर अमर पद पाई, धंध (द्वन्द) सकल मिट जाई ... सखीरी आज.... (राग दुर्गा) (५) ॥ ५ ॥ काम सुभट गयोहारी रे...थाशुं काम सुभट गयो हारी, रतिपति' आण वसे सहु सुरनर, हरि हर ब्रह्म मुरारि रे... गोपीनाथ विगोपित कीनो, हर अर्धाङ्गितनारी रे.... १. आपसे, २. कामदेव, Jain Education International ॥ २ ॥ १२१ For Private & Personal Use Only थाशुं थाशुं www.jainelibrary.org

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