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अपश्चिम तीर्थंकर महावीर - 19
Banarsidas, Delhi; 1974; page-34 आचारांग; आचार्य शीलांक वृत्ति; द्वितीय श्रुत स्कन्ध; वही; पृ. 422 (TT) K.C. Jain, Lord Mahavira and his Times; Motilal Banarsidas, Delhi; 1974; page-34-37 (क) आचारांग; आचार्य शीलांक वृत्ति; वही; पृ. 422 (ख) आवश्यक नियुक्ति-अवचूर्णि; पूर्वभाग; वही; पृ. 245 (क) आचार्य श्री हस्तीमलजी म. सा.; जैन धर्म का मौलिक इतिहास; भाग 1; प्रका. जैन इतिहास समिति, लाल भवन, चौड़ा रास्ता, जयपुर; पृ. 558 (ख) डा. नेमिचन्द शास्त्री; तीर्थंकर महावीर और उनकी परम्परा; प्रका. श्री भारतीय दिगम्बर जैन विद्वत् परिषद; प्रथम संस्करण, सन् 1974;
पृ. 84 6. (क) आचार्य श्री हस्तीमलजी म. सा.; जैन धर्म का मौलिक इतिहास;
भाग 1; वही; पृ. 535 (ख) सम्पा. डा. नरेन्द्र भांनावात; भगवान् महावीर आधुनिक संदर्भ में; लेख-ज्योति पुरुष महावीर लेखक-उपाध्याय अमर मुनि; वही; पृ. 16 (क) द्रष्टव्य-सम्पा. डा. नरेन्द्र भानावत; भगवान महावीर आधुनिक संदर्भ में; वही; पृ. 16 (ख) द्रष्टव्य-आचार्य श्री हस्तीमलजी म.सा.; जैन धर्म का मौलिक इतिहास; भाग 1; वही; पृ. 535 (ग) डा. नेमिचन्द शास्त्री; तीर्थंकर महावीर और उनकी परम्परा; वही; पृ. 59-69 (घ) द्रष्टव्य श्रमण, नवम्बर 1981; भगवान् महावीरकालीन वैशाली;
श्री रंजनदेव सूरि; पृ. 21-25 (घ) द्रष्टव्य श्रमण, फरवरी 1954; वैशाली और भगवान् महावीर का दिव्य संदेश; श्री महावीरप्रसाद प्रेमी; पृ. 15-23 उपासकदशांगसूत्र: युवा. श्री मिश्रीलालजी म. सा.; अध्ययन 1; प्रका. आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर; तृतीय संस्करण सन् 1999; पृ. 10-11 पाणिनि अष्टाध्यायी उपासकदशांग; वही; पृ. 29