Book Title: Apaschim Tirthankar Mahavira Part 01
Author(s): Akhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh Bikaner
Publisher: Akhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 255
________________ अपश्चिम तीर्थंकर महावीर 18. 19. 20. 21. 22 239 (ख) आवश्यक चूर्णि, मलयगिरिः पृ. 295 (ग) त्रिषष्टि श्लाका पु. चा. वही; पृ. 98 (घ) यद्यपि आवश्यक चूर्णिकार जिनदास, वृत्तिकार मलयगिरि एवं त्रिषष्टि पु. चारित्रकार ने ऐसा उल्लेख किया है कि चन्दना के वाल कीचड़ के पानी से खराब न हो जाए एंतदर्थ लकड़ी से ऊपर कर सेठ ने सहज भाव से बांध दिये लेकिन दिवाकर चौथमलजी म. सा. ने इससे कुछ भिन्न वर्णन किया है। वह इस प्रकार है "वह पैर धोने लगी। उसके केश खुले थे, बार-बार आंखों पर आते थे। इससे वह पैरों को साफ नहीं देख सकती थी । केशों को दूर हटाने के लिए सिर हिलाया । सेठजी उसके प्रयोजन को ताड गये, उन्होंने सरल भाव से उसके केशों को अपने हाथों से थाम लिया। भगवान महावीर का आदर्श जीवन; श्री चौथमलजी म. सा., पृ. 319 (क) आवश्यक चूर्णि; जिनदास; पृ. 319 (ख) आवश्यक चूर्णि, मलयगिरि, पृ. 295 (ग) त्रिषष्टि श्लाका पु. चा; वही; पृ. 99 (घ) श्री चौथमलजी म. सा. ने भगवान महावीर का आदर्श जीवन में लिखा है कि चंदना के दिखाई न देने पर अनशन व्रत ग्रहण कर लिया तब पड़ौसिन ने आकर सेठ से सव वृत्तान्त कहा । भगवान महावीर का आदर्श जीवन श्री चौथमलजी म. सा. पृ. 320-21 (क) आवश्यक चूर्णि; जिनदास पृ. 319 (ख) आवश्यक मलयगिरि: पृ. 295 (ग) त्रिषष्टि श्लाका पु. चा.; वही; पृ. 99 (घ) श्री चौथमलजी म. सा. के अनुसार स्वयं सेठ ने नहीं जबकि दासी ने उडद के बाकुले सेठ के कहने से लाकर दिये । देखिए भगवान महावीर का आदर्श जीवन श्री चौथमलजी म. सा. पृ 321 (क) आवश्यक चूर्णि; जिनदास, पृ. 319 (ख) त्रिषष्टि श्लाका पु. चा. वही, पृ. 99-100 (ग) चेटक महावीर के मामा थे। मृगावती श्रमण महावीर की दहिन थी। देखिये तीर्थकर महावीर : श्री मधुकरमुनि, प्रका. सन्मति ज्ञानपीठ, आगरा, सन् 1974 प्र. सं., पृ. 113 आवश्यक चूर्णि जिनदास, पृ. 319-20 विटि इलाका पुच: वही, पृ. 101 -

Loading...

Page Navigation
1 ... 253 254 255 256 257 258 259