Book Title: Anuyogdwar Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 22
________________ [21] पृष्ठ ४७७ ४५२ ४८८ क्रं. विषय पृष्ठ | क्रं. विषय २२४. दृष्टिवाद श्रुत परिमाण संख्या . ४४२ २४७. द्रव्य-अध्ययन ४७१ २२५. ज्ञान संख्या ४४२, २४८. भाव-अध्ययन ४७३ २२६. गणनासंख्या ४४२ । २४६. अक्षीण निरूपण ४७५ २२७. संख्यात के भेद २५०. भाव-अक्षीण २२८. असंख्यात के भेद ४४४ | २५१. आय - विवेचन ४७८ २२६. युक्ता संख्यात २५२. भाव - आय ४८२ २३०. असंख्यातासंख्यात का निरूपण ४५० २५३. द्रव्यक्षपणा ४८४ २३१. परित्तानन्त का वर्णन २५४. भावक्षपणा ४८६ २३२. युक्तानन्त का स्वरूप - ४५३ | २५५. नामनिष्पन्ननिक्षेप ४८७ २३३. अनन्तानन्त का निरूपण ४५३ | २५६. द्रव्य सामायिक २३४. भावसंख्या का विवेचन ४५५ २५७. भाव सामायिक ४८८ २३५. वक्तव्यता के भेद ४५६ | २५८. सामायिक हेतु अधिकृत ४८६ २३६. परसमयवक्तव्यता ४५८ २५६. श्रमण जीवन की विभिन्न उपमाएं ४६० २३७. स्वसमय-परसमय वक्तव्यता | २६०. श्रमण का व्युत्पत्ति मूलक निर्वचन ४६२ २३८. वक्तव्यताः विभिन्न यदृष्टियाँ ४६१ २६१. सूत्रालापक निष्पन्न निक्षेप ४६२ २३६. अर्थाधिकार विवेचन ४६२ २६२. अनुगम विवेचन ४६३ २४०. समवतार निरूपण ४६३ १. निक्षेपनियुक्त्यनुगम ४९४ २४१. क्षेत्रसमवतार ४६६ २. उपोद्यातनिर्युक्त्यनुगम ४९४ २४२. कालसमवतार ४६६ ३. सूत्रस्पर्शिकनियुक्त्यनुगम ४८ २४३. भाव समवतार ४६८ | २६३. नय-विश्लेषण ५०४ २४४. निक्षेप-विवेचन ४७० | २६४. नयवर्णन की उपयोगिता ५०६ २४५. ओघनिष्पन्न ४७० | २६५. प्रशस्ति गाथाएं ५०६ २४६. अध्ययन : ४७० ४५६ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 ... 534