Book Title: Anusandhan 2004 03 SrNo 27
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 36
________________ March-2004 29 कासींद्रा थईने तेओ आबू पर्वते आव्या छे. त्यांथी सीरोही गया. वाटमां सरोतर (सरोत्रा?)मां सहस्रार्जुन नामे भील राजवीए गुरुनी स्वागता करी हती, तो सीरोहीमां देवडा राये सरभरा करी हती. आ पछी तेओ सादडी आवे छे, तेना प्रयोजनमां कवि कथे छे के 'संसारीआ वंदाववा' अर्थात् पोतानां संसारी स्वजनो खातर तेओ सादडी (अथवा सादडीना रस्ते) आव्या छे. अने त्यां निडोलाई-नाडलाईनो-तेमनी जन्मभूमिनो संघ पण आव्यानो निर्देश थयो छे. सादडीथी राण(क)पुरनी यात्रा करतां नडूलाई पहोंच्या. अत्यार सुधी (राधनपुरथी?) साथे आवेल 'गूजरात'नो संघ (श्रावको) गुरुनी अनुमति लईने पाछो फरे छे (कडी ६०), तेनो उल्लेख खूब रसप्रद छे. त्यांथी बांतावगडीमां थई जैतारण, केकिंद अने मेडता पधार्या. मेडतानो संघ तथा त्यांना राठोड सामा आव्या, अने नगरमां पधार्या पछी श्रावकोए खूब उत्सव ने भक्ति कर्यां. श्रावको तरीके सचीआदास, नरायणा तथा रूपसी-ए ३ नाम (कडी ६३) नोंधेल छे. त्यांथी महिमामेर, सांगानेर थई वैराट नगरे आव्या. त्यां विमलनाथ जिननुं देरासर होवानो तेमज भारमल्ल इन्द्राज नामे गुरुभक्त (राजा) होवानो उल्लेख (कडी ६५) महत्त्वनो छे. त्यांथी विक्रमपुर (बीकानेर) आव्या. त्यां पण इंद्राज (राजा) वंदे छे. त्यांथी महिमानगर आवतां त्यां रहेला पंडित रंगकुशल मुनि आवीने गुरुने भेटे छे (गडी ७०). त्यांनो खोजो (गामनो मुखी होवो जोईए) पण घणी आवभगत करे छे (कडी ७१). अहीं लाहोरथी कल्याणशाह श्रावके आवी गुरुने वंदन कर्यां छे. पछी गुरु खानपुर आवतां लाहोरनो संघ सामो आव्यो हतो. आ खानपुर ए लाहोरनुं शाखापुर होय एवी शक्यता वधु जणाय. ___पछीनी ढालमा सामे आवेलो संघ, गुरुनी पधरामणीना हर्षमां, शुं शुं लाव्यो छे तेनुं विगते वर्णन छे, जे काल्पनिक-अवास्तविक न होतां ऐतिहासिक तथ्यात्मक छे. ते काळे गुरुनुं स्वागत आवा अनेक प्रकारोथी थतुं. संघ उपरांत शेषजी एटले शेख अबुल फजल, शाहजादा, खानसाहेबो तथा राजा-राणाओ पण गुरुने सामैये आव्यानो उल्लेख आमां जोई शकाय छे (८०). आखी ढालमा स्वागत-सामैया, हू-ब-हू वर्णन थयुं छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114