Book Title: Anusandhan 2004 03 SrNo 27
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 55
________________ 48 अनुसंधान-२७ कूकूत भंगि कौतुक, विचित्र चेनचाळा (?) भांग शंखला सिंखला तीय स्त्री . ३३ प्रवाह ३४ ताता विलाति किंसहइ नि सबाब ३७ ४० भादं ४४ आलंपनां दुहाई 04 P मेवडे पीआणो सुहासणि परवाह तपावेला-उकाळेला विलायत-परदेश कोईने ना स्वभाव-स्वाभाविक के वास्तविक (?) भादरवामां आलमपनाह (बादशाह) द्विधा सेवको-खेपिया प्रयाण सौभाग्यवंती देवचकली सदुरु शिक्षा-रजा प्रदक्षिणा(?) राजा-ठाकोर सामैये खिदमत-सेवा परिगल-अनर्गल वेष अच्छा ti देव्या सहइगुरु सीख भमरो ६३ ६५-५५ ७० ७१ ७२ इंद्राज सामहीइ खजमति प्रघल वाघा आछा झूलि झूल कोतल नलवटि चंदा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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