Book Title: Anusandhan 2004 03 SrNo 27
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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March-2004
'विविध कवि विरचित सज्झाय श्लोकादि संग्रह' ए शीर्षक नीचे पंदरेक लघुकृतिओ मुनि श्रीकल्याणकीर्तिविजयजी द्वारा मळे छे. 'खिमा पंचावनी' मां क्रोध अने क्षमाना आगमिक तथा इतर दृष्टान्तोनो समुच्चय प्राप्त थाय छे, 'नारी स्वरूप मां मधुर उपदेश अने शब्दलालित्य एकत्र मळ्यां छे. आमां थोडी वाचनभूलो, जोके, छे. (कडी ३ ) ' आणइ जमारइ नही अमारइं तुम्ह विना रे' आवी पंक्ति होवी जोइए. 'जमार' = जीवन. (कडी ५- ) 'सूकइ' ने स्थाने 'चूकइ' जोइए. (कडी १० - ) 'हाकी'ने स्थाने 'हांकी' जोइए. (कडी ३२- ) 'न विचितवइ' ने स्थाने 'नवि चितवई' एम वांचवुं जोइए. कडी ६मां 'आ (अं?) गि' कर्तुं छे त्यां 'आगि' पाठ साचो छे. आगि - आगळ, पण लाक्षणिक अर्थ 'मूळे, मूळमां, पहेलांथी' जेवो अर्हीीं छे. खोडो = लंगडो. ' (जे माणस) मूळे खोडो होय ने तेमां वळी पगमां बेडी पडी होय ते सामे गाम केम पहोंचे ?'
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बलभद्रसज्झायमां
कडी ९
कडी १३
कडी २४
कडी ५२ पार्श्वनाथस्तवन
कडी १९
कडी २९
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'बंधवह जीअ' छे त्यां 'बंधव हजीअ'.
इमास (?) छे त्यां '६ मास' वांचवं जोइए.
'समतासज्झाय' मां कडी ४- 'निभ' नहीं, 'तिम' मित्रउपनयसज्झाय
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नींबडिओ - 'लीमडो थई गयो'. 'जे आंबो हतो ते भलो लीमडो थई गयो. '
द्राओ = धरायो.
जासक = खूब ('याचक' नहीं)
कारेली = एक घरेणुं करेलडां.
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‘उपदेशकुशलकुलक’ना पाठमां वाचनजन्य भूलो रही छे. पुक्खरावरत सुमेहा' (कडी १). कडी ६ मां 'जल' छे त्यां 'जव' साचो पाठ बने. "जव कदी चोखा न बने' कडी ७मां 'सूरि जस सिहर' छे त्यां खरेखर सूरिंज - ससिहर - एम वांचवं जोइतुं हतुं. कडी ८मां 'गमइ' पछी 'नहीं' शब्द जरूरी
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