Book Title: Anusandhan 2004 03 SrNo 27
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 111
________________ Jain Education International कर्ता. सम्पादक अनु.नं. | 104 पृष्ठ पद्मकुमारमुनि हेमविजय ६८-७१ ५१-५२ ५४-५५ ७४ For Private & Personal Use Only कृति. श्लोक बन्धेन श्री शङ्केश्वर पार्श्वनाथ स्तवन. संसार स्वरूप सज्झाय समता सज्झाय सिद्ध-स्वरूप स्वाध्याय हित शिक्षा बोल सज्झाय सप्तनय विवरण समुद्रबन्ध चित्रकाव्य : एक परिचय समुद्रबन्ध आशीर्वचन समेतशिखरगिरिरास सरस्वती-बार मासो सरस्वती स्तोत्र सांकळियुं : अनुसंधान १३ थी १८ | हंस साधु अज्ञात विजयशीलचन्द्रसूरि विजयशीलचन्द्रसूरि विजयशीलचन्द्रसूरि गुलाबविजय विजयशीलचन्द्रसूरि मुनि भुधर विजयशीलचन्द्रसूरि श्री दयासूरि ? | साध्वी दीप्तिप्रज्ञाश्री ५३-५४ १-९ ७-११ १२-२६ ४२-५२ ५९-६१ २०-२२ अंकोनुं १४४-१६४ १-१७ सिद्धमातृका प्रकरण दीप्तिप्रज्ञाश्री-चारुशीलाश्री सिद्धसेनसूरि | विजयशीलचन्द्रसूरि तथा मुनि धुरन्धरविजय २५ www.jainelibrary.org अनुसंधान-२७

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