Book Title: Anusandhan 2004 03 SrNo 27
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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March-2004
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गायन शैली-आजनी प्रचलित ढबथी जूदी-वसन्ततिलकानी होवी जोइए. कोई जाणकार आ विषयमा प्रकाश पाडशे तो आनंद थशे.
आ अंकनी गुजराती कृतिओमां महत्त्वनी अने सर्व प्रथमवार प्रकाश पामती कृति 'लाभोदयरास' छे. दुर्भाग्ये तेनो त्रण पत्र अर्थात् ६ पृष्ठ. जेटलो भाग त्रुटित छे. आमां विजयसेनसूरि तथा शाह अकबरना मिलननो अधिकृत वृत्तान्त मळे छे.
___कडी ३३मां इ उही (?) छे त्यां 'इउंही' वांचq जोइए. ऊर्दूना 'यूं', 'यंही' जेवा शब्दोमां आगळ इ उमेरायेलो आ रासमां जोवा मळे छे : इउं (कडी २६), इयाही (क. २७) इया ( क. ३६) वगेरे. कडी ३२मां ‘गयर' छे ते 'गैर-' पूर्वग छे. गयर-दिउ=गैर दिया अर्थात् अदत्त. क. २९मां 'अ पूठे' छे त्यां 'अपूठे' साचो पाठ छे. 'चालत चाल अपूठी' एवो प्रयोग उपा. यशोविजयजीना 'जैन कहो...' ए पदमां जोवा मळे छे. क. १००- 'आलस' छे त्यां 'आलम', क. १०२मां 'पीर वार' छे त्यां 'परिवार' पाठ होवानुं समजी शकाय छे, संपादके कौंसमां निर्देश करवा जेवो हतो. क. १००मां 'दूकरोस' छपायुं छे अने शब्दकोशमां तेनो अर्थ 'दुःख रोष' एवो आप्यो छे. अहीं वाचनभूल थयानी भीति छे. 'टुक रोस' शब्द हशे, पण 'टु' ते 'दु' तरीके वंचायो हशे. 'टुक'-जरा, अल्प. क. ३३मां आ शब्द आ ज अर्थमां जोवा मळे ज छे. क. ११६ मांनो 'हाकावीका' आजनी हिन्दीमां 'हक्काबक्का' रूपे सचवाई रह्यो छे. 'श्रीफल उ तंबोल' (क. १२२)मां उ छे ते ठेकाणे 'ओ' होवानी पूरती शक्यतां छे. ऊर्दू-अरबीमा 'अने'ना अर्थमां 'ओ' अव्यय छे- जान-ओ-जिगर वगेरेमा छे तेम. रासमांना ऊर्दू शब्दो वधु अभ्यास मागे छे.
डॉ. अभय दोशी द्वारा एक अप्रगट स्तवनचोवीशी संपादित थई छे. प्रभुप्रेमना एकना एक विषयने भक्त कविओए केटकेटलो रमाड्यो छे ते आवी चोवीशीओ दर्शावी आपे छे. हस्तप्रतनी अशुद्धिने लीधे अथवा तो सम्पादकना अनवधान-अपरिचितताने कारणे कृतिनो पाठ घणी जग्याए अस्पष्ट अशुद्ध रह्यो छे. स्त. १, कडी ५, स्त. २ कडी ५ अने कडी २, स्त. २२ नी आंकणी वगेरे स्थाने पाठमां अस्पष्टता रही छे. थोडा सूचित पाठो
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