Book Title: Anusandhan 2004 03 SrNo 27
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 71
________________ 64 आदिनाथ वीनती पूजा सुणी सेजा सिहरि श्रृंगार हार, घणा दिवसनुं अलं (ल) जउ हुं अपार. व्यु (यु) गादीस हुं वंदिसु सीस नामी करूं वीनती आपणुं साम पामी. १ अनुसंधान-२७ धन ललत सरोवर तणी पालि, करइ कलिवर (कलरव ) कोईला अंब डालि धन सरल सोहामणी साद चंग, सुणिं श्रवणि जे उपजइ मनह रंग. २ . चडिउ पावडी जेतलइ भवण केरी, तव प्रभु तणी भेटि लाधी भलेरी, दोइ लेप आरा (र) स मूरति निहाली, इस्युं तीरथ नथी सेतुंज टाली. ३ होई हरखनी वेलडी आज ऊगी, मुझ मांडली आज आसीस पूगी. धन नयणले जे युगादीस दीसइ, धन वयणलां जे प्रभु वीनवीसइ. ४ भलइ पामीउ माणसु अ जम्म सारु, भलई लेटिओ श्रावक - ओज मारु. भलइ जइ आविउ सेत्रुज सिहरि राज, भलइ भेटिओ आपणुं सामी आज. ५ हिव हेल दे बाल जिम नमिसु आज, मन रुलीअ हुं मागिसुं मुगति राज, गुण गाईसिउं प्रभु तणा मधुर सादि किवारीइ वली वंदिसु श्री युगादि. ६ जाउं आंखि ऊआरणइ रिसहनाह, तोरी भमुहडी भामणह गुणसंणाह. तोरी बाहुडी हुं ले लाहर जीऊं (?) गुण ताहारा अंगना रंगि गाऊं. ७ इणि रवि तलि रूअडउं सहू अछइ, पिणि प्रभु तणा निरपम रूप पछइ धन ते जण जात्रइ तुम्हारी जाई चडइ चैत्र वदि जनम आठमि जाणी. ८ धन चैत्र पूनिम नमुं सीस नीमी, जिहां पंचकोडि पुंडरीक सिद्धिगामी. ने (न) मि - विनमि दोइ कोडिसुं सिद्धिगामी, सदा सेविवउ सेत्रुज सिंहरी सामी. ९ इहां अहूठ कोडि जादवकुमर सीधी सही, सेत्रुज सिहरि पुहवी प्रसिद्ध. दस कोडिसिउ द्रविडनइ वाइ (रि) खिल्ल इहां उपन्नं नाण एकलमल्ल. १० इहां पांच पांडव वली वीस कोड, गया सिद्धि वंदउ करकमल जोडि इहां सिद्धि संख्या लहुं नहि अपार, करुं तेहनइ सविहुनु जुहार ११ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114