________________
अनुसंधान - २७
थवानुं विधान; ३. दिगम्बर मान्यता प्रमाणे तो चन्द्रगुप्ते पाछली वये दीक्षा लीधी हती अने ते पछी तेणे दक्षिणना कर्णाटकदेशना गोम्मटेश्वरना पहाड पर साधना करी हती, परंतु ते वात- मान्यतानो गंध सरखो पण, एक दक्षिणना जैनाचार्यनी कन्नड रचनामां पण नथी मळतो; आमां तो चन्द्रभुक्तने अकाल मृत्यु पामी जतो दर्शावेल छे !; आ बधी बाबतो क्यांक विसंगत तो क्यांक नवीन होवानुं मानी शकाय अभ्यासुओने आमां रस जरूर पडशे एम मानुं छं.
शी.
78
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org