Book Title: Anusandhan 2004 03 SrNo 27
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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अनुसंधान-२७
प
शोधमां नीकळी पड्यो जंगलमां क्यांक तेने सिद्ध रसनो कूवो जडतां कोईनी मददथी ते रस तेणे प्राप्त कर्यो अने पाछो आव्यो. पछी तेणे कपट वडे लोको पासे माटीना ढग अणावीने श्रीपर्वत पर कोट रचाव्यो, नवुं नगर वसाव्युं, अने पछी मोटी सेना लईने महापद्म उपर चडी गयो. हार्यो. ए पछी वर्षे वर्षे ते चडाई करतो, अने हारीने पाछो आवतो. एकवार ए रीते हार्या पछी चन्द्रभुक्त वगेरेने तो तेणे रवाना कर्या, पण स्वयं भागी न शकतां बचवा माटे तळावमां पेसी गयो शत्रुसैन्य गया पछी ते गुप्त रीते पाटलीपुत्रमां पेठो. त्यां एक वणकरना घरे जई त्यां रहेती वृद्धा पासे भोजन माग्युं वृद्धाए गरम 'यवागू' पीरसी, अने उतावळा चाणाक्ये तेमां एकदम हाथ नाख्यो. ते दाइयो. ते जोईने वृद्धा बोली : 'आ दुनियामां में त्रण मूर्ख जोया' चाणाक्ये पूछ्धुं : 'मा, ते त्रण कया मूर्ख ? मने कहो.' त्यारे वृद्धा कहे: 'पहेलो मूर्ख तुं; वासणनी किनारी परथी जरा जरा यवागू हाथमां लईए तो दझाय नहि, आटलीय गतागम तने नथी एटले. बीजो नन्दराजा; पोते समर्थ हतो, अने पोताने मारवानी प्रतिज्ञा करनार शत्रु हाथवेंतमां हतो छतां तेने जीवतो जवा दीधो एटले. अने त्रीजो मूर्ख चाणाक्य; तेनी पासे क्रोध सिवाय शुं छे ? पोते सेनापति नथी, क्षत्रिय पण नथी, अने छतां राजा सामे युद्धे चडे छे. जो एनामां बुद्धि होय राजाना राज्यने वणसाडे, तेना दुश्मनोने पोताना पडखे ले, तेना अधिकारीओने फोडी नाखे, भेदनीति आचरे, तो राजा एकलो पडे ने तेने जीती शके. पण आवडत जोईए ने !'
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चाणाक्य तरत त्यांथी नीकळ्यो, श्रीपर्वते जई सेनाने लई पाटलीपुत्र पर घेरो घाल्यो, अने साथे ज वृद्धाए कहेलां तमाम प्रयोजनो पार पाड्यां. परिणामे राजा जीव लईने नासी गयो अने सुबन्धु केद पकडायो. पछी तेणे चन्द्रभुक्तने राजा बनावी, महापद्मनी राणी चन्द्रमतीने तेनी पटराणी तरीके स्थापी. राजनी तिजोरी खाली जाणतां प्रजाजनोने नोतरी भोजनपूर्वक मद्यपान करावी नशामां ज तेमनां धन संताडवानां स्थाननी जाणकारी मेळवी लीधी, अने ते धन पडावी लईने तिजोरी भरी दीधी. आम १२ वर्ष जूनीं, नन्दवंशनिकन्दननी पोतानी प्रतिज्ञा पूरी कर्यानी खुशालीमां प्रजा साथे ते खूब नाच्यो, अने संन्यासीनो वेष कायम राखीने यशोमतीने बोलावी लीधी. सामन्तादि
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