Book Title: Anusandhan 2004 03 SrNo 27
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 81
________________ पत्तन छे. तेनो राजा अथवा विश्वसेन गाने राणी साथ म कूवाकांदे 74 अनुसंधान-२७ भूमिकारूपे आ कथा संस्कृतमां आपी रह्यो छु. हवे कथा जोईए : जम्बूद्वीपना भरतक्षेत्रमा मगध नामे पुर (देश) छे. तेमां पाटलीपुत्र नामे पत्तन छे. तेनो राजा नन्दवंशनो पद्म नामे छे. राणी सुन्दरी अने पुत्र महापद्म. तेनो मंत्री कापि अथवा विश्वसेन छे. संयोगवश राणी अने मंत्रीने स्नेह थयो, एटले मंत्रीए विचार्यु के राजाने हणीने राणी साथे आनन्द करूं. ते राजाने, धन दाटवानी गुप्त जग्या देखाडवाना बहाने उपवनमां कूवाकांठे लई गयो, अने विश्वस्त राजाने हणीने कूवामां फेंकी दीधो. ते वखते वनमां फूल चूंटी रहेला माली वसन्तक आ जोईने डरी गयो अने भागी गयो. मंत्री विह्वल तो थयो, छतां नचिन्त थई स्थाने गयो. बीजी सवारे राजाने मळवा गयो, ते न मळतां तेने शोधवानो देखाव रच्यो ने शोक पण कर्यो. छेवटे महापद्मने राजा स्थापी पोते गुप्त रीते सुन्दरी साथे निरांते भोग भोगववा लाग्यो. पण महापद्ये थोडा ज वखतमां बधुं पकडी पाड्युं अने मंत्रीने तेना परिवार साथे सुरंग-केदमां पूरी दीधो. एक नाना वाटका जेटलुं बारुं रखावेलुं ते वाटे रोज एक वाटकी ओदन अने एक लोटो पाणी तेमने अपातुं. तेटलामां ज बधाए निर्वाह करवानो. एटले मंत्रीए सूचव्युं के आपणामांनो जे पुरुष शत्रु- अने नन्दवंशनु निकन्दन काढी शके ते ज आ वापरी जाय ने स्वस्थपणे जीवे; बाकीनां बधां भूख-तरस वेठीने जीवन समाप्त करे. मंत्रीना सुबन्धु नामे पुत्रे आ माटे तत्परता दर्शावतां तेना सिवायनां तमामे अन्न जल तजीने मृत्यु स्वीकारी लीधुं. . त्रणेक वर्ष बाद, शत्रुओए आक्रमण करतां राजाने मंत्री सांभर्यो. तेणे सुबन्धुने बहार कढाव्यो अने मानपानपूर्वक मंत्री बनाव्यो. तेणे शत्रुओने चतुराईपूर्वक पाछा वाळ्या. राजा विशेष खुश थयो. राजानो बीजो मंत्री हतो शकटाल. तेनी पुत्री नन्दवतीनो विवाह सुबन्धु साथे थयो. मगधमां ज शाल्मलि नामे अग्रहार (ग्रामविशेष) हतो, त्यां सोमशर्मा अने कपिला नामे द्विज-दम्पती रहेतां हता. तेमने चार दांतवाळो चाणाक्य नामे पुत्र थयो. तेने जोईने नैमित्तिक वसन्तके भाख्यु के आ नन्दवंशनो क्षय करीने कां राजा थशे, कां राजमंत्री. तेना पिताए पथ्थर लईने ते चारे दांत तोडीने फेंकी दीधा अने घसीने तेनुं मों सम करी नाख्यु. मोटा थई Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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