Book Title: Antim Tirthankar Ahimsa Pravartak Sargnav Bhagwan Mahavir Sankshipta Author(s): Gulabchand Vaidmutha Publisher: Gulabchand Vaidmutha View full book textPage 6
________________ खेदका विषय है कि हमारे बहुत से भाई लोग अज्ञानतावश भगवान महावीरको श्रीराम भक्त हनुमान जी' ही समझ टे हैं । यह एक भारी भूल है। भगवान महावीर, जिनका नाम 'वर्द्धमान स्वामी' भी है, अन्तिम अहिंसा प्रवर्तक चौबीसमें जैन तीर्थकर हैं जो आजसे पच्चीस सौ वर्ष पूर्व इस भारतर्पकी पवित्र भूमिपर अवतीर्ण हुए थे । इस पुस्तकमें उक्त शास्त्रों के आधार व मुनि महात्माओं एवं पण्डितों के सम्पर्कसे जो कुछ प्राप्त हो सका वालोत्साह से प्रेरित लेखकने अपनी क्षुद्र बुद्धिसे भगवानकी मुख्यमुख्य लीलाओं का संक्षिप्त तथा यथाशक्ति सरल एवं ग्राह्य वर्णन किया है । उस गहन विषयमें मतभेद, विरोध एवं भूलों का होना अनिवार्य है । अतः लेखक क्षमाप्रार्थी है और आशा करता है कि विरोधको भूलकर, तथा भूलों को सुधारकर पठन करके पाठकगण इस पुस्तक द्वारा अपनी आत्माका स्तर भली भांति ऊंचा उठावेंगे। इस सरल, शांतिदायक संक्षिप्त महावीरके जीवन चरित्र का भारत के धर-धरमें सदुपयोग हो, यही अभिप्राय एवं शुभ कामना है। छिन्दवाड़ा, म. प्र. गुलाबचन्द वैद्यमुथा ता. १०-४-१६५१ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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