Book Title: Anekant 1966 Book 19 Ank 01 to 06 Author(s): A N Upadhye Publisher: Veer Seva Mandir Trust View full book textPage 9
________________ { विपय ४जनकया माहित्य की विशेपठाएँ -डा० नरंग मानावत ५ स्थाबी सुध और शान्ति का उपाय -प.ठाकुरदासजन ४६ पमयसम्बन्धी बन परम्परा -डा. ज्योतिप्रसाद जैन ४७ जन मूर्तिकला का प्रारम्भि स्वरूप -रमेशचन्द शर्मा ४ इम्पसबहकर्ता और टीकाकार के समर पर विचार-परमानन्दन शास्त्री vt वोग्नन्दी पौर उनका चन्द्रप्रम परित -अमृतलाल शास्त्री ५. गजस्थान का जैन पुगतत्व -डा. कैलाशचन्द्र जैन ५१बन-बौद्ध-वर्णन-पो. उदयचन्द्र जैन ५२ स्याहार का ब्यावहारिक जीवन में उपयोग -प.नमुपदाम म्यायनीर्थ १३ जनदर्शन और वेदान्त-मुनिश्री नथमल विपय ५४ पानिक विज्ञान और जनदशन -पदमचन्द जैन ५ प्राकृत वैयाकरखोकी पाश्चात्य मासा का विहगावलोकन-डा. सन्यरजन बनर्जी १७५ ५६ मनेकान्त मोरबीरसेवामन्दिर के प्रेमी १३९ श्री बा. छोटेलाल जी-जुगलकिशोर मु. १८१ ५७ एक मिष्ठावान मापक-बैनेन्द्रकुमार जैन १७ १४२ ५८ विचारवान एक महदय व्यक्ति (एक सस्मरण) -पन्नालाल साहित्याचार्य ५६ एक मस्मरण-डा. ज्योनिप्रमाद न ६. मस्मरण-हीरालाल सिद्वान्त-शास्त्री ६१ विनम्र श्रद्धाजलि-कपूरचन्द वरैया ६२ प्रभिनन्दन-पत्र १३ अभिनन्दन-पत्र ६४ धर्मप्रेमी बाबू छोटेलालजी-विशनचन्द जैन १९७ ६५ श्रद्धाजनि-प्रेमचन्द जैन १९० ६६ दो सस्मरण-'स्वतन्त्र'न ६७ वे महान् -प्रकाश हितपी शास्त्री १६७ साहित्य समीक्षा-पग्मानन्द १९. ૨૨ १४६ १९४ १६६ १५३ १६५ २०० २०१Page Navigation
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