Book Title: Ananthnath Jina Chariyam
Author(s): Nemichandrasuri, Jitendra B Shah, Rupendrakumar Pagariya
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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भुवनपवनिवका
दाउ रज्जसिरिं कुमरस्स वयस्सिरिं गहिस्सामि । य चिंतिय सुहलग्गे रज्जे अहिसिंचइ कुमारं ॥ ८६७२ ॥ आरुहिय रयणसिबियं दितो दाणाई वज्जिराउज्जो । दरीण चरणसाराभिहाण पासे समणुपत्तो ॥ ८६७३ ।। कलत्तो कइवयरायसंगओ तेहिं दिक्खिओ राया । जाओ य साहुसिक्खा वियक्खणो तक्खणे दक्खो || ८६७४ ॥ उक्किट्ठे अट्ठमासंततवविसेसट्ठियट्ठिसन्नाणे ।
डिबोहि भव्वो जायकेवलो सोक्खमणुपत्तो ॥ ८६७५ ॥
वयपूया भुवणपईवरन्नो जहा महाफलया ।
या तह अन्नस्स वि संपज्जइ तीए ता जयह ॥ ८६७६ ॥ छ ॥
नेवज्जपुयाए भुवनप्पमोयगनिवकहा ) वणप्पईव राया दीवपूयाए साहिओ तुम्ह । सुवणप्पमोयगनिवं निसुणह नेवज्जपूयाए ॥ ८६७७ ॥ उत्तमेक्करायं समत्थि बहुलसिररायरयणं पि । मुवणतिलयाभिहपुरं कुरंगसमनयणरमणियणं ॥ ८६७८ ॥ जम्मिं मणिभवणपरंपरापहापहयरयणितिमिरम्मि । त्रासहरडज्झिरागरुधूमो उप्पायइ निसं व ॥ ८६७९ ॥
महिओ सुहयगओ सचंदहासो दुहा वि सव्वत्थ । भुवणाणंदो नामेण नरवई अत्थि तत्थ थिरो || ८६८० ॥ तस्सत्थि सव्वसुद्धंतसारपयसंठिया सलीलगई ।
कमलमुही भुवणसिरि त्ति रायहंसि व्व पियभज्जा | ८६८१ ॥
तीए मणं आणंद पुत्तो भुवणप्पमोयओ दूरं । भुवणप्पमोयओ नाम कामसमरूवरम्मतणू || ८६८२ ॥
सद्धम्मसरुच्छेइयकुकम्मपरपत्तकोमलसिरीओ ।
अणुसरियसासयसुहो जइ व्व जो सहइ समरसिओ || ८६८३ ॥
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