Book Title: Ananthnath Jina Chariyam
Author(s): Nemichandrasuri, Jitendra B Shah, Rupendrakumar Pagariya
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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सिरिअणंतजिणचरियं कंकेल्लितमालवणेसु जस्स पविसंति रयणकरदंडा ।। रागद्दोसावरणारयमुक्कजिणरायबाण व्व ॥ ९०२१ ॥ तो सो पहिट्ठचित्तो तम्मि पविट्ठो विसिट्ठजिणभवणे । उवसंतकंतरूवं अवलोइओ उसहजिणनाहं ॥ ९०२२ ॥ ता विप्फुरंतबहुमाणपसरवसपुलयकलियतणुजट्ठी । आणंदअंसुजलभरपक्खालियवयणवच्छयलो ॥ ९०२३ ॥ उल्लसियमणो वियसंतलोयणो कुणइ सुरहिवासेहिं । पूयं पहुणो नियजम्मसहलयं मन्नमाणो सो ॥ ९०२४ ॥ असरिसबहुमाणवसो पुणरुत्तं भूमितलमिलियभालो । पणमिय पलोईय चिरं जिणेसरं आगओ सगिहे ॥ ९०२५ ॥ कहियं पियाए वासेहिं जिणवरो पूइओ त्ति तो सा वि । बंधइ अणुवमपुन्नं पसंसमाणी इमं अट्ठ ॥ ९०२६ ॥ कईया वि दो वि निययाउअंतमणुसरियमरियजायाइं । अमरत्तेणं आरणकप्पे सुररायसरिसाइं ॥ ९०२७ ॥ एगवीस सागराई भुत्तुं सुरलोयलच्छिविच्छड्डे । सिद्धाययणजिणच्चणकरणज्जियसुकयसंभारा ॥ ९०२८ ॥ चविय तओ वसुहासारपट्टणे कित्तिबंधुरनिवस्स । जाओ धणावहसुरो पुत्तो असमाणगुणजुत्तो || ९०२९ ॥ धणवइ अमरो वि पुणो उदयाशंदे पुरम्मि उप्पन्ना । उदियप्पयावरन्नो कन्ना उदयस्सिरी नाम ॥ ९०३० ॥ हुँतो हं पुव्वभवे तुह जणओ मरिय बारसमकप्पे । बावीस सायराऊ संजाओ भासुरो अमरो ॥ ९०३१ ॥ तं जोव्वणमणुपत्ता पत्ता कीला कए इहुज्जाणे । पुव्वविदेहा चलिओ वंदिय जंगमजिणिंदेहिं ॥ ९०३२ ॥ मह दिट्ठिपहे पत्ता उल्लसिओ पुव्वभवभवो नेहो । नाया य ओहिणा पुव्वभवसुया तं तओ झ त्ति ॥ ९०३३ ॥
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