Book Title: Ananthnath Jina Chariyam
Author(s): Nemichandrasuri, Jitendra B Shah, Rupendrakumar Pagariya
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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तत्थ वि सुस्समणस्स व परिगिण्हंतस्स सुद्धमाहारं । कज्जेसु समग्गेसु वि सया वि उवउत्तचित्तस्स ॥ ९३८३ ॥ एसा एक्कारसमी पडिमा नामेण समणभूयति । एक्कारससंखेहिं होइज्जणूणमासेहिं ॥ ९३८४ ॥ इय एक्कारसमासप्पडिमा किरियाए तुलियनियसत्ती । पव्वज्जं पडिवज्जर सिवरमणिकडक्खिओ होइ ।। ९३८५ ॥ अवरे पुणरवि घरवासमिति पुत्ताइनेहनिद्धमणा । पालंति समविरुद्धव्ववसायो वज्जियजसोहा ।। ९३८६ ॥ एयाओ पडिमाओ अणुट्ठियं जे चरंति चारितं । न परीसहोवसग्गेहिं ताण उप्पज्जए पीडा ॥ ९३८७ ।। जेसिं एरिसकिरियासु उज्जमो होइ ते जए धन्ना । धन्नच्चिय सव्वाण वि पडिमाणं जंति पज्जंतं ॥ ९३८८ ॥ ठाणं कल्लाणाणं ते च्चिय जयगब्भसंभवाण धुवं । पारं नीओ अणंतेहिं चिय भवसमुद्दस्स ॥ ९३८९ ॥ तेहिं चिय संपत्ता विजयपडाया भवारिरणरंगे । भावेण जेहिं विहियं सावयपडिमाणणुट्ठाणं ॥ ९३९० ॥ सुप्पहनरिंदकहिया तुह एसा सावयप्पडिमकिरिया । गिहिधम्मप्पासायालंकरणी सियपडाय व्व ॥ ९३९१ ।। एत्थंतरम्मि भरहद्धसामिणा नमिय सामिओ पुट्ठो । पहु ! दंसणम्मि वियरह दिट्ठतं हियकरप्पसाया || ९३९२ |
आह पहू सम्मत्तं जायं सोक्खा य सीलसारस्स । असुहा य धम्मसारस्स राय ! ता सुणसु ताण कहं ॥ ९३९३ ॥ छ (दंसणे पयावसुंदरकहा)
सिरिअणंतजिणचरियं
जंबुद्दीवस्स मज्झम्मि भारहद्धम्मि दक्खिणे ।
कालिंगे नामगे देसे अत्थि हेमपुरं पुरं ॥ ९३९४ ।।
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