Book Title: Ananthnath Jina Chariyam
Author(s): Nemichandrasuri, Jitendra B Shah, Rupendrakumar Pagariya
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 758
________________ ७२९ एक्कारसपडिमा निज्जीवं भुजंतस्स भोयणं धम्मसोहणनिमित्तं । सचित्तचागपडिमासत्तमिया सत्तमासा य ॥ ९३७० ॥ अह अवरा तस्सेव य सत्तप्पडिमुत्तकिरियनिरयस्स । सयमकुणंतस्स घरारंभं सावज्जसब्भावं ॥ ९३७१ ॥ घरनिव्वाहनिमित्तं वावारिंतस्स तम्मि कम्मयरे । नवरमुरलयरब्भावुब्भावियगरुयाणुकंपस्स ॥ ९३७२ ॥ अवरद्धे विय मियमहुरभासिणो अणुसयरहियहिययस्स । आरंभचागपडिमा भन्नइ मासट्ठगपमाणा ॥ ९३७३ ॥ अह अवरा तस्सेव य तुट्ठप्पडिमुत्तजुत्तसड्ढस्स । कम्मयरेहिं वि कज्जं सावज्जमकारयंतस्स ॥ ९३७४ ॥ पुत्ते मित्ते वा बंधवे वा विणिहियकुडंबभारस्स । तुच्छममत्तस्स महासयस्स संतोसजुत्तस्स ॥ ९३७५ ॥ संवेगवग्गमइणो लोगववहारवज्जयंतस्स इमा । पेसपरिहारपडिमा नवमासेहिं भवइ नवमी ॥ ९३७६ ॥ अह अवरा तस्सेव य चउपडिमा किरियकारिणो गिहिणो । उद्दिट्ठकडाहारं परिच्चयंतस्स निच्चं पि ॥ ९३७७ ॥ छुरमुंडियस्स जइ जणविलक्खणत्तेण धरियचूलस्स । निच्चंपि साहुजणपज्जुवासाणायरणनिरयस्स ॥ ९३७८ ॥ पुच्छंताण सुयाईण निहिगयं दव्वमत्थि अह नो वा । इय तेसि पच्चुत्तरदाणाणुन्नाए जुत्तस्स ॥ ९३७९ ॥ तस्सुहुमजीवपुग्गलदव्वाइपरिमाणपरस्स होइ इमा । उद्दिट्ठवज्जयाभिहपडिमादसमासिया दसमी ॥ ९३८० ॥ अह अवरा दस पडिमाणुट्ठाणवियस्स तस्स सड्ढस्स । छुरमुंडियस्स अहवा परिविरइयलोयकम्मस्स ॥ ९३८१ ॥ रयणहरणपडिग्गहधारणेण काएण समणभूयस्स । ममकारा वुच्छेया सयणग्गामेसु जंतस्स ॥ ९३८२ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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