Book Title: Ananthnath Jina Chariyam
Author(s): Nemichandrasuri, Jitendra B Shah, Rupendrakumar Pagariya
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 757
________________ ७२८ सिरिअणंतजिणचरियं होइ जहन्नेण मुहुत्तमेत्तकालं दुगे वि संझाण । मणिदुप्पणिहाणप्पमुहपंचअईयाररक्खणओ || ९३५७ ॥ गिन्हंतस्स विसुद्धं सामाईयमसमपुन्नसंजणयं । मासत्तिगप्पमाणा तइया सामाइयप्पडिमा ॥ ९३५८ ॥ अहवा सावयसड्ढस्स पुव्वपडिमानिगुत्तनिरयस्स । पव्वदिणेसु चउव्विहपोसहपरिपालणपरस्स ॥ ९३५९ ॥ अप्पडिलेहियसंथारपमुहअईयारपणगवियरस्स । . होइ चउत्थी पोसहपडिमा चउमासपरिमाणो ॥ ९३६० ।। अह अन्ना तस्सेव य सड्ढस्स विय हियाहियचिंतयंतस्स । दंसणवयमासाईयपोसहपडिसुत्तजुत्तस्स ! ९३६१ ॥ रयणीए सुरयपरिमाणकारिणो दिवसबंभयारिस्स । किच्चाकिच्चन्नुस्सय उवसग्गसहस्ससुथिरस्स ॥ ९३६२ ॥ पडिमावज्जदिणेसुं अबद्धकच्छस्स य अस्सिणाणस्स । रयणीए सलिलपाणं परिच्चयंतस्स निच्चं पि ॥ ९३६३ ॥ अट्ठमि चउद्दसीसुं कुणमाणस्सेगराईयं पडिमं । काउस्सग्गे धम्म सव्वनिसं झायमाणस्स ॥ ९३६४ ॥ अहवा सदोसपच्चयमवरं वा किं पि चिंतयंतस्स । पडिमा नामप्पडिमा पंचहिं मासेहिं होइ इमा ॥ ९३६५ ।। अह अवरा पुव्वो इयगुणस्स सड्ढस्स विजियमोहस्स । रयणीए वि हु उज्झियविसयस्स थिरयरमणस्स ॥ ९३६६ ॥ उक्कोस वि हु सावज्जवज्जयस्स सिंगारकहविरत्तस्स । एगंतट्ठियनारीवत्ताओ वि परिहरंतस्स ॥ ९३६७ ॥ संवेगवासणावसपवद्धमाणेक्कसुद्धभावस्स । छम्मासकालमाणा अबंभपडिमा हवइ छट्ठी ॥ ९३६८ ॥ अह अवरा पुव्वा पडिमछक्कणुट्ठाणकारिणो गिहिणो । परिचत्तसचित्तचउप्पयारआहारजायस्स ॥ ९३६९ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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