Book Title: Ananthnath Jina Chariyam
Author(s): Nemichandrasuri, Jitendra B Shah, Rupendrakumar Pagariya
Publisher: L D Indology Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 749
________________ ७२० सिरिअणंतजिणचरियं असणे अणंतकायं किसलयकंदाइतिविहमंसं च ।। पाणेसु राइयं खाइमे य पंचुंबरिफलाई ॥ ९२५५ ॥ तह साइमम्मि महुपमुहमज्जए भणियमेत्थ भोयणओ । परिहरइ कम्मओ वि हु खरकम्माई पि कूराइं ॥ ९२५६ ॥ उप्पाइज्जइ पीडा पभूयसत्ताण जम्मि अणवरयं । तं खरकम्मं सड्ढो न कुणइ आरक्खियाईयं ॥ ९२५७ ॥ सड्ढेण जीवियव्वं कम्मममाऊण एस उस्सग्गो । अह न तरइ तो कज्जं जमप्पसावज्जमविरुद्धं ॥ ९२५८ ॥ सच्चित्तं पडिबद्धं अपउलदुप्पउलतुच्छभक्खणयं । एयव्वयाईयारा पंच इमे सुणसु एक्केक्कं || ९२५९ ॥ भन्नइ सचित्तमणंतकायदलबीयपुढविजलपमुहं । भोयणओ मोत्तव्वं सड्ढेणेयव्वयपरेण ॥ ९२६० ॥ अट्ठियगजुत्तपरिपक्कफलतरुट्ठाइगुंद पमुहं जं । सच्चित्तप्पडिबद्धं तं पि हु परिवज्जियव्वं ति ॥ ९२६१ ॥ जमपक्कप्पायं हुयवहम्मि मुग्ग-चणग-गोहुमाईयं । तमपउलियंतिग्गीयं चईयव्वं सावयजणेण ॥ ९२६२ ॥ अग्गिज्जाला जोया झलक्कियं होइ अद्धपक्कं जं । तंबाईगुणपमुहं दुप्पक्कं नेव भोत्तव्वं ॥ ९२६३ ॥ नवकिसलय-कुहराई अबद्धबीयाओ तह फलीओ य । तुच्छोसहीओ एयाओ सावओ चयइ वयधारी ॥ ९२६४ ॥ इय अइयारविसुद्धं भोयणओ वयमिमं विहेयव्वं । तह इंगालाईए अइयारे चयसु भणियं च ॥ ९२६५ ॥ इंगाली १ वण २ साडी ३ भाडी ४ फोडी य ५ वज्जए कम्मं । वाणिज्जं चेव य दंत ६ लक्ख ७ रस ८ केस ९ विस १० विसयं ॥ ९२६६ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778