Book Title: Ananthnath Jina Chariyam
Author(s): Nemichandrasuri, Jitendra B Shah, Rupendrakumar Pagariya
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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सिरिअणंतजिणचरियं असणे अणंतकायं किसलयकंदाइतिविहमंसं च ।। पाणेसु राइयं खाइमे य पंचुंबरिफलाई ॥ ९२५५ ॥ तह साइमम्मि महुपमुहमज्जए भणियमेत्थ भोयणओ । परिहरइ कम्मओ वि हु खरकम्माई पि कूराइं ॥ ९२५६ ॥ उप्पाइज्जइ पीडा पभूयसत्ताण जम्मि अणवरयं । तं खरकम्मं सड्ढो न कुणइ आरक्खियाईयं ॥ ९२५७ ॥ सड्ढेण जीवियव्वं कम्मममाऊण एस उस्सग्गो । अह न तरइ तो कज्जं जमप्पसावज्जमविरुद्धं ॥ ९२५८ ॥ सच्चित्तं पडिबद्धं अपउलदुप्पउलतुच्छभक्खणयं । एयव्वयाईयारा पंच इमे सुणसु एक्केक्कं || ९२५९ ॥ भन्नइ सचित्तमणंतकायदलबीयपुढविजलपमुहं । भोयणओ मोत्तव्वं सड्ढेणेयव्वयपरेण ॥ ९२६० ॥ अट्ठियगजुत्तपरिपक्कफलतरुट्ठाइगुंद पमुहं जं । सच्चित्तप्पडिबद्धं तं पि हु परिवज्जियव्वं ति ॥ ९२६१ ॥ जमपक्कप्पायं हुयवहम्मि मुग्ग-चणग-गोहुमाईयं । तमपउलियंतिग्गीयं चईयव्वं सावयजणेण ॥ ९२६२ ॥ अग्गिज्जाला जोया झलक्कियं होइ अद्धपक्कं जं । तंबाईगुणपमुहं दुप्पक्कं नेव भोत्तव्वं ॥ ९२६३ ॥ नवकिसलय-कुहराई अबद्धबीयाओ तह फलीओ य । तुच्छोसहीओ एयाओ सावओ चयइ वयधारी ॥ ९२६४ ॥ इय अइयारविसुद्धं भोयणओ वयमिमं विहेयव्वं । तह इंगालाईए अइयारे चयसु भणियं च ॥ ९२६५ ॥ इंगाली १ वण २ साडी ३ भाडी ४ फोडी य ५ वज्जए कम्मं । वाणिज्जं चेव य दंत ६ लक्ख ७ रस ८ केस ९ विस १० विसयं ॥ ९२६६ ॥
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