Book Title: Ananthnath Jina Chariyam
Author(s): Nemichandrasuri, Jitendra B Shah, Rupendrakumar Pagariya
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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धम्मदेसणा देसावगासियव्वयमेयं संसाहियं इयाणिं तु । तईयं अक्खिज्जइ पोसहोववासो ॥ ९३१९ ॥ तइयं सिक्खावयं चउब्भेयं (........) । आहारदेहभूसाबंभसावज्जव्वावारभेएहिं । ९३२० ॥ अट्ठमि व चउद्दसिपमुहतिहिपरिचत्तचउव्विहाहारो । गेहव्वावाररओ वि होइ आहारपोसहिओ ॥ ९३२१ ॥ न्हाणंगरागतंबोलपुप्फपमुहाई पव्वदिवसेसु । मुंचंतो होइ गिही सरीरसक्कारपोसहिओ ॥ ९३२२ ॥ जो पव्वतिहीसुकलत्तभोगमुज्झियविसुद्धपरिमाणो । निग्गहयनिययकरणाई मुणह तं बंभपोसहियं ॥ ९३२३ ॥ जो धम्मज्झाणपरो विमुक्कभवहेऊ सव्ववावारो । सुन्नहराइसु चिट्ठइ सो अव्वावारपोसहिओ ॥ ९३२४ ॥ अप्पडिदुप्पडिलेहियमपमज्जियदुपमज्जियं च तहा । सेज्जाइ चयइ सड्ढो सम्ममणणुपालणं चेव ॥ ९३२५ ॥ एए पंचइयारा पोसहविहिपालणत्थमिह भणिया । तुज्झावबोहणत्थं भणिमो एक्केक्कयमियाणि ॥ ९३२६ ॥ नयणानिरिक्खियं जं सेज्जासंथारयासणाईयं ।। तं वत्थु अप्पडिलेहियं ति परिहरइ पोसहिओ ॥ ९३२७ ॥ वावरंतरवक्खित्तमाणसो तयं ण पेक्खियं पि गिही । दुप्पडिलेहियमेयं ति चयइ कयपोसहो मइमं ॥ ९३२८ ॥ वत्थंचलेण सेज्जसंथारुच्चारभूमिपट्टाई । अपमज्जियं न सेवइ पोसहिओ पाणरक्खट्ठा ॥ ९३२९ ॥ जमजयणाए दलृ पमज्जियं अहव गुरुपमायाओ । सेज्जाइं तं पि दुपमज्जियं ति वज्जेइ पोसहिओ ॥ ९३३० ॥ जं काओ अब्भतठें भोयणमहिलसइ पोसहियसड्ढो । मोत्तुं तणुसक्कारं बंधइ राढाइ जं केसे ॥ ९३३१ ॥
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