SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 754
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७२५ धम्मदेसणा देसावगासियव्वयमेयं संसाहियं इयाणिं तु । तईयं अक्खिज्जइ पोसहोववासो ॥ ९३१९ ॥ तइयं सिक्खावयं चउब्भेयं (........) । आहारदेहभूसाबंभसावज्जव्वावारभेएहिं । ९३२० ॥ अट्ठमि व चउद्दसिपमुहतिहिपरिचत्तचउव्विहाहारो । गेहव्वावाररओ वि होइ आहारपोसहिओ ॥ ९३२१ ॥ न्हाणंगरागतंबोलपुप्फपमुहाई पव्वदिवसेसु । मुंचंतो होइ गिही सरीरसक्कारपोसहिओ ॥ ९३२२ ॥ जो पव्वतिहीसुकलत्तभोगमुज्झियविसुद्धपरिमाणो । निग्गहयनिययकरणाई मुणह तं बंभपोसहियं ॥ ९३२३ ॥ जो धम्मज्झाणपरो विमुक्कभवहेऊ सव्ववावारो । सुन्नहराइसु चिट्ठइ सो अव्वावारपोसहिओ ॥ ९३२४ ॥ अप्पडिदुप्पडिलेहियमपमज्जियदुपमज्जियं च तहा । सेज्जाइ चयइ सड्ढो सम्ममणणुपालणं चेव ॥ ९३२५ ॥ एए पंचइयारा पोसहविहिपालणत्थमिह भणिया । तुज्झावबोहणत्थं भणिमो एक्केक्कयमियाणि ॥ ९३२६ ॥ नयणानिरिक्खियं जं सेज्जासंथारयासणाईयं ।। तं वत्थु अप्पडिलेहियं ति परिहरइ पोसहिओ ॥ ९३२७ ॥ वावरंतरवक्खित्तमाणसो तयं ण पेक्खियं पि गिही । दुप्पडिलेहियमेयं ति चयइ कयपोसहो मइमं ॥ ९३२८ ॥ वत्थंचलेण सेज्जसंथारुच्चारभूमिपट्टाई । अपमज्जियं न सेवइ पोसहिओ पाणरक्खट्ठा ॥ ९३२९ ॥ जमजयणाए दलृ पमज्जियं अहव गुरुपमायाओ । सेज्जाइं तं पि दुपमज्जियं ति वज्जेइ पोसहिओ ॥ ९३३० ॥ जं काओ अब्भतठें भोयणमहिलसइ पोसहियसड्ढो । मोत्तुं तणुसक्कारं बंधइ राढाइ जं केसे ॥ ९३३१ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001445
Book TitleAnanthnath Jina Chariyam
Original Sutra AuthorNemichandrasuri
AuthorJitendra B Shah, Rupendrakumar Pagariya
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1998
Total Pages778
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, Story, N000, & N001
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy