SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 753
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७२४ सिरिअणंतजिणचरियं वावारवाउलो जं कयाइसामाइयं सए कज्जं । न सरइ कयमकयं वा एयमकरणं इहुत्तं च ॥ ९३०६ ॥ न सरइ पमायजुत्तो जो सामाईयं कयाओ कायव्वं । कयमकयं वा तस्स हु कयं पि विहलं तयं नेयं ॥ ९३०७ ॥ जं काउं सामईयं तव्वेलं चेव पारए सड्ढो । तं अणवट्ठियकरणं परिहरियव्वं जओ भणियं ॥ ९३०८ ॥ काऊण तक्खणे च्चिय पारेइ करेइ वा जहिच्छाए । अणवट्ठिय सामईयं अणायराओ न सुद्धं ति ॥ ९३०९ ॥ सामाईयव्वयमिमं भणियं देसावगासियं निव ! तं । आयन्नसु एक्कमणो साहिप्पंतं पयत्तेण ॥ ९३१० ॥ निच्चं पि जत्थ कीरइ संखेवो दिसिठियप्पमाणस्स । देसावगासियं तं भणियं सिक्खावयं बीयं ॥ ९३११ ॥ चयइ गिही आणयणपेसवणप्पओगदुगजुत्ते । सद्दाणुवाइरूवाणुवाइबहिपुग्गलक्खेवे || ९३१२ || छ । एयव्वयम्मि एए पंचइयारा पयासिया इण्हि । एयाणं एक्केक्कं तु ममायन्नसु निव ! कहेमो || ९३१३ ॥ न करेइ तिरियदिसिपहसंखाइक्कमभएणमिहसड्ढो । संदिसिऊणाणयणप्पओगमवरेण वत्थुस्स ॥ ९३१४ ॥ कज्जेण वि नो वा तिरियदिसिकयं संखमइक्कमनियकज्जो । नियनरपेसप्पओगो भव्वेणेयव्वयपरेण ॥ ९३१५ ॥ अंगीकयखित्तब्भंतरट्ठिओ तस्साइक्कमणभएण । अप्पपयडणकज्जे न कुणइ सद्दाणुवायं पि ॥ ९३१६ ॥ नियमिय खित्तठिएणं सकज्जसाहण कए न सड्ढेण । ठाऊणुच्चे कज्जो नियाणरूवाणुवाओ वि ॥ ९३१७ ॥ पोसहसालाइट्ठाणगेसु परिविहियपोसहो न गिही । बाहिं पुग्गलखेवेण कुणइ सयणाण सन्नाओ || ९३१८ ॥ छ | Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001445
Book TitleAnanthnath Jina Chariyam
Original Sutra AuthorNemichandrasuri
AuthorJitendra B Shah, Rupendrakumar Pagariya
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1998
Total Pages778
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, Story, N000, & N001
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy