Book Title: Ananthnath Jina Chariyam
Author(s): Nemichandrasuri, Jitendra B Shah, Rupendrakumar Pagariya
Publisher: L D Indology Ahmedabad
View full book text ________________
७०७
गंधबंधुरकहा पणयपहुपायपउमा इंद-नरिंदाइणो समग्गा वि । नाणाजाणारूढा निय निय ठाणेसु संपत्ता ॥ ९०८६ ॥ कइ वि दिणे ठाउं विमलगिरिसिरे भवियविहियपडिबोहो । अवयरइ हत्थिमंतरगईए गिरिणो जिणाहिवई ॥ ९०८७ ॥ गणहरगण-मुणिसमणी-नरिंद-खयरिंद-इंदविंदेहिं । भत्तिभरनिब्भरेहिं सयावि सममणुसरिज्जंतो ॥ ९०८८ ॥ नहयलचलछत्तत्तयधम्मद्धयधम्मचक्कचमरेहिं । सोहंतो मणिमयं पायवीढसीहासणेणं च ॥ ९०८९ ॥ विहरंतो गामागर-मंडव--दोणमुह-सन्निवेसेसु । कब्बड-ठाणासमपयनयरेसु य निययमपमत्तो ॥ ९०९० ॥ चारणवक्कुच्चारिय जय जय सरमिस्सवज्जिराउज्जो । संपत्तो भुवणपहु पुरीए वारवइनामाए ॥ ९०९१ ।। निच्चं पि जीए जलहीवेलाजलगहियसालरयणेहिं । रयणायरो त्ति भुवणे संपत्तो गुरुतरपसिद्धिं ॥ ९०९२ ॥ अइसीए वि दिणम्मि सेवइ जलणं जणो न धूमभया । जत्थ रविरयणवलहिच्छाया विहरंति सीयाइं ॥ ९०९३ । चंदमुणिचंदसालाओ व चंदउदयम्मि नीरधाराओ । जलजंतमंदिराई च किरंति जं तुम्ह समणत्थं ॥ ९०९४ ॥ तो तीए पुव्वोत्तरदिसंतरालट्ठिए महारामे ।। सहयारसोहनामो मणोभिरामदुमसमूहो || ९०९५ ॥ पत्ताणं उप्पत्ती संकेओ सव्वकुसुमजाईण ।। महुपाणपाणभूमी जो सउणाणं सहाठाणं ॥ ९०९६ ॥ वाउकुमारेहिं पमज्जियम्मि मेहामरेहिं जलसित्ते । मरगयरयणकुट्टिमे तम्मि रिउसुरक्खित्तकुसुमम्मि ॥ ९०९७ ॥ चउभेयअमरनिम्मियमणिकंचणतारसालनियगम्मि । समवसरणे निविट्ठो चउरूवो तिहुयणेक्कगुरु ॥ ९०९८ ॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778