Book Title: Ananthnath Jina Chariyam
Author(s): Nemichandrasuri, Jitendra B Shah, Rupendrakumar Pagariya
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 716
________________ ६८७ भुवणपमोयनिवकहा पइविद्देसवसाए वि तीए मुक्कं न विणयकरणिज्जं । लंघंति न रुट्ठाओ वि कुलबहुयाओ कुलायारं ॥ ८८२६ ॥ तेणेव य वेरग्गेण भत्तुणो मोईऊणमत्ताणं । पडिवन्ना बालतवं नवरं न मुयइ पिएणुसयं ॥ ८८२७ ॥ रणसूरो पुण सरलस्सहावओ सरइ नियगुरुकमेणं । दीणाइयाण दाणाई देइ न करेइ अन्नायं ॥ ८८२८ ॥ एवं मज्झिमपरिणामवससमज्जियनराओ निवरिद्धी । मरिऊण भुवणतिलयाभिहपुरनिवनंदणो जाओ ॥ ८८२९ ॥ तब्भज्जा विनयावज्जियविज्जाहररिद्धिभोयसंभारा । मरियसुया तुह जाया रहनेउरचक्कवालपुरे ॥ ८८३० ॥ पुव्विल्ल भवम्मि सया पुरिसवेसेण संगया जमिमा । इह जम्मे वि तमुव्वहइ तुह सुया निव ! नरविद्देसं ॥ ८८३१ ॥ भणियं केवलिणा नहयरिंद ! तुह कन्नयाए पुरिसम्मि । विद्देसकारणमिमं पयासियं पुच्छमाणस्स ॥ ८८३२ ॥ तं सोउं जाईसरणनाणविन्नाय नियभवा भणइ । पहु ! तं तहेव सच्चं तुन्भेहिं जहा समक्खायं ॥ ८८३३ ॥ तो सो ससुओ नयकेवली गओ नियपुरे खयरराया । जाया य निव्वियप्पा पियाभिमाणे भुवणलच्छी ॥ ८८३४ ॥ चिंतइ महाणुभावेण तेण तईया न विरईयमजुत्तं । जं मोयगेण विहिया पूया देवाहिदेवस्स ॥ ८८३५ ॥ तईया दईए सरले वि दुब्वियप्पं पकप्पमाणीए । महिलाण मए पयडीकयं धुवं तुच्छपयइत्तं ॥ ८८३६ ॥ जइ हं तं पुच्छंती ता सो तईया वि मह पयासंतो । जं पुच्छिएण तेणं कयाइ वडुत्तरं न कयं ॥ ८८३७ ।। इय चिंतंती जाया पियम्मि पोढाणुराइणी बाला । निय दुव्विलसियसुमरणउव्विरविहुरियरणरणया ॥ ८८३८ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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