Book Title: Ananthnath Jina Chariyam
Author(s): Nemichandrasuri, Jitendra B Shah, Rupendrakumar Pagariya
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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भुवणपमोयनिवकहा हरिए मए ममंबा पिऊण जायं भविस्सइ दुहंतं । जेण न होहिंति पहूणि ताणि नियपाणधरणस्स ॥ ८८५२ ॥ तयणु नहयरनिवेणं कुमारकुसलप्पउत्तिकहणकए । तुम्हतियम्मि पन्नत्तिदेवया पेसिया एत्थ ॥ ८८५३ ॥ एयं समहिट्ठियसालिभंजियं कणयथंभयग्गाओ । अवयरिय मए कहिओ तुह सुयअवहरणवुत्तंतो || ८८५४ ॥ इय भणिऊणुच्छलिउं सट्ठाणे सालिहंजिया पत्ता । . अत्थाण जणा सव्वो वि विम्हिओ नरवइप्पमुहो ॥ ८८५५ ॥ जपति सव्वसामंतमंतिणो देव ! पेच्छ अच्छरियं । जं जंपंती सजीवारमणीओ व रयणपडिमाओ ॥ ८८५६ ॥ देवो च्चिय पुन्नपयं जस्स सयं खेयरी ठिया बहुया । किं कामदुहा घेणू अभद्दनरगेहमल्लियइ ? ॥ ८८५७ ॥ एवं जंपंताणं ताणं सो वासरो वइक्कंतो । माणियसुहनिद्दाणं झड त्ति रयणी वि अवसरिया ॥ ८८५८ ॥ काऊण दिणयरोदयकरणिज्जं रइयरम्मसिंगारो । उवविसइ सहाए निवो नमंतसामंतमंतियणो ॥ ८८५९ ॥ एत्थंतरे अनिलचलद्धयावली रणज्झणंतकिंकिणियं । मणिकिरणभरियभुवणं विमाणविंदं समणुपत्तं ॥ ८८६० ॥ गयणंगणमुक्कविमाणचक्कनीहरियनहयरनिवेहिं । अणुगम्मतो सालयभुयलग्गो आगओ कुमरो ॥ ८८६१ ॥ अत्थाण सन्निविट्ठ जणयं पणमइ महिमिलियमउली । तेणावि गाढमालिंगिऊणमापुच्छिओ कुसलं ॥ ८८६२ ॥ पुणरुत्तं पणमिय भणइ ताय । कुसलं तुहप्पसाएण । कयजणणिपयप्पणई उवविट्ठो पिउ पयासन्ने ॥ ८८६३ ॥ सह नहयराहिवइणा रन्ना काऊण उचियपडिवत्तिं । उववेसिओ निए सो मणिमयसीहासणद्धम्मि ॥ ८८६४ ॥
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