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राजकुमार का चातुर्य पता न लग सका। लोगों ने कहा-राजकुमारी ऐसे महल में है उसका मार्ग मंत्री और राजा के अतिरिक्त कोई भी नहीं जानता। __ शौर्यसिंह प्रतिभा का धनी था, वह एक महान कलाकार स्वर्णकार के पास पहुँचा, और स्वर्ण का ढेर उसके सामने रखकर कहा कि इस सोने से ऐसा कलात्मक घोड़ा बनाओ कि जिसके पेट में एक व्यक्ति आराम से बैठ सके । और रत्नों के जड़ाई का कार्य इस तरह से किया जाय कि अन्दर बैठा व्यक्ति किसी को न दीख सके । आज से पन्द्रह दिन के पश्चात् राजा विक्रम का जन्म दिन आने वाला है उसके उपलक्ष में यह बहुमूल्य उपहार भेंट करना है, अतः शोघ्र तैयार कर दो। । कुछ ही दिनों में घोड़ा तैयार हो गया। राजकुमार शौसिंह को घोड़ा बहुत ही पसन्द आया। उसने स्वणकार को उपहार प्रदान करते हुए कहा-मुझे घोड़े में बिठाना, और जन्म-दिवस के उपलक्ष में घोड़ा राजा को भेंट कर देना और साथ ही राजा से यह निवेदन भी कर देना कि यह उपहार राजकुमारी को भी दिखाया जाय । स्वर्णकार सहमत हो गया। ___ जन्मदिवस के उपलक्ष में अनेकों व्यक्तियों ने राजा को उपहार अर्पित किए, पर सबसे बहुमूल्य और अद्भुत उपहार स्वर्णकार का रहा। राजा ने उसे बहुत ही प्रेम से ग्रहण किया । समय देखकर स्वर्णकार ने कहा-कितना अच्छा हो, यह उपहार राजकुमारी को भी दिखाया जाय । राजा
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