Book Title: Amit Rekhaye
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 105
________________ अमिट रेखाएं उसी समय विचित्र - वेष-भूषा धारी पुरुष ने कहामहाराज ! जरा आप भी मेरे साथ चलिये मैं आपको एक बहुत ही विचित्र दृश्य बताता हूँ । युधिष्ठर उनके साथ गये, उन्होंने देखा - एक आदमी के सिर पर जूते बंधे हुये हैं । वह एक घड़े को उठाता है और उसके पानी को छह घड़ों में डालता है तो वे छट्टों घड़े भर जाते हैं, और दूसरी बार वह छहों घड़ों को सातवें घड़े में उडेलता है तो भी वह सातवां घडा नहीं भरता है । युधिष्ठर hi यह बात बड़ी आश्चर्यकारी लगी । ६२ देखते ही देखते वह व्यक्ति दिव्य देव रूप में प्रकट हुआ. उसने कहा जो आपने चित्र विचित्र वस्तुयें देखी हैं उसका हाल इस प्रकार है आपने प्रथम भैंसा देखा था जो बारह मंहों से चरते हये भी उसका पेट खाली था । इसका रहस्य है कि कलियुग में राज्य के अधिकारी चारों ओर से रिश्वत लेंगे. तथापि सन्तुष्ट नहीं होंगे । सद्यः प्रसूता बछडी के स्तनपान करने की बात इस बात की प्रतीक है कि कलयुग में माता-पिता अपनी लडकी के पैसे लेकर अपनी जिन्दगी का निर्वाह करेंगे । पैसे के लिये अपनी लडकी का विवाह रूग्ण व वृद्ध व्यक्तियों के साथ करने में हिचकिचायेंगे नहीं । स्वर्ण पिंजरे में कौआ बैठा है और राजहंस उसकी सेवा कर रहा है इसका तात्पर्य है कि कलयुग में निम्न व्यक्ति राज्य करेंगे और उत्तम पुरुष उनकी सेवा करेंगे । Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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