Book Title: Amit Rekhaye
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 126
________________ परिबाट और सम्राट वजीरजी, क्या उस सम्बन्ध में जांच की ? बादशाह ने पूछा। वजीर ने सारी रामकहानी बादशाह को सुनाई, बादशाह को आश्चर्य हुआ, उसे फकीर की बात पर विश्वास नहीं हुआ। वह खिल-खिलाकर हंस पड़ा, अच्छी मारी है गप्प तुमने। ___ अनुभव करके देखिए, आचार्य श्री के वचनों में सत्य है और तथ्य है। बादशाह विचार में पड़ गया, अच्छा, तुम, कहते हो तो अभी रहने देता हैं, किन्तु यह बात झूठी है। दिन बीतते गये, बालक ने जन्म लिया, बादशाह वजीर और दीवान सभी उसे देखने गये, देखा बालक आचार्य श्री के कथनानुसार ही है । हड्डी और रोमरहित । देखते ही देखते उस मांस पिंड का क्षण भर में पानी-पानी हो गया। बर्फ की तरह वह पिघल गया, सभी सहम गये, आचार्य श्री की वाणी सत्य सिद्ध हुई। सम्राट चल पडा परिव्राट की सेवा में, जनता यह देखकर आश्चर्य चकित थी कि परिवाट के चरण कमलों में भारत का सम्राट झुका हुआ है। Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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