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| आदर्श भावना बंगाल में वैष्णव धर्म का प्रचार प्रसार और विस्तार करने का श्रेय श्री चैतन्य को है। ___ वे एक दिन गाँव को जा रहे थे, मार्ग में एक बहुत बड़ी नदी थी, जो बिना नौका के पार नहीं की जा सकती थी। अन्य यात्रियों के साथ चैतन्य भी नौका में बैठ गये, और नदी की निर्मल धाराओं को देखने लगे।
उसी समय एक व्यक्ति ने उनको झकझोरते हुए कहाचैतन्य क्या तुमने मुझे नहीं पहचाना, मैं तुम्हारा बालमित्र गदाधर हैं । आज बहत वर्षों के पश्चात् आपके दर्शन हुए हैं।
चैतन्य -मित्र गदाधर ! मैं प्राकृतिक सौन्दर्य सुषमा को निहार रहा था अतः मैंने तुम्हारी ओर ध्यान नहीं दिया।
दोनों मित्रों में स्नेहपूर्वक वार्तालाप प्रारंभ हुआ ! अतीत की धुधली स्मृतियां उबुध्य होने लगी।
गदाधर ने कहा-मित्र ! तुम्हें स्मरण है न । जब हम गुरुकुल में पढ़ते थे उस समय हम दोनों ने यह प्रतिज्ञा
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