Book Title: Amit Rekhaye
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 43
________________ ३० अमिट रेखाएं राजकुमारी के सौन्दर्य और बुद्धि-कौशल की चर्चाएं फैल चुकी थी । अनेक राजकूमार उसके साथ विवाह करना चाहते थे, उन्होंने राजकुमारी को प्राप्त करने के लिए प्रयत्न किया, पर प्राप्त न कर सके । अनुत्तीर्ण होने से राजा के द्वारा बन्दी बना लिए गए। राजकुमार शौर्यसिंह ने स्वर्णलता के सम्बन्ध में सुना, उसे पाने के लिए उसका मन भी ललक उठा, साथ ही यह भी सुना को बीसो राजकुमार परीक्षा में अनुत्तीण होने से बन्दी बना लिए गए हैं । शौर्यसिंह ने गंभीरता से विचार विमर्श कर यह निर्णय किया कि अपनी बुद्धि का चमत्कार दिखाकर राजकुमारी को प्राप्त भी करना है और साथ ही बन्दी राजकुमारों को मुक्त भी करना है, अतः बन्दी राजकुमारों के पिताओं को अपने यहां निमन्त्रण देकर बुलवाया और कहा—यदि आप कुछ भी सहयोग प्रदान करें तो मैं आपके पुत्रों को एक महिने में मुक करवा सकता हूं । सहयोग में आप केवल सौ-सौ तोला सोना और पांचपाँच सहस्र मुद्राएं दीजिए। यदि एक महीने की अवधि में मुक्त न हो तो आपको व स्वर्ण मुद्राए लौटा देंगे। सभी राजा अपने पुत्रों को मुक्त करवाना चाहते थे, उन्हें वह योजना पसन्द आ गई। उन्होंने उसी समय सौसौ तोला सोना और पांच-पांच हजार मुद्राएँ राजकुमार को दे दी। ___ राजकुमार उस स्वर्ण और धन को लेकर देवनगर आया। उसने राजकुमारी के महल को अन्वेषणा की, पर Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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